राष्ट्रीय पोषण माह के तहत मीडिया कार्यषाला सम्पन्न
खण्डवा 18 सितम्बर, 2018 - पोषण का संबंध गरीबी या अमीरी से नही है, बल्कि गरीब परिवारों द्वारा खाये जाने वाले भोजन में बहुत अधिक पोष्टिक तत्व होते है। आवष्यकता पोषण के प्रति जन जागरूकता की है। जनजागरूकता में मीडिया प्रतिनिधियों की महत्वपूर्ण भूमिका को ध्यान में रखते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा खण्डवा कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में मीडिया कार्यषाला आयोजित की गई। कार्यषाला में अपर कलेक्टर श्री बी.एस. इवने, जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग श्री संजय भारद्वाज , मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ. रतन खण्डेलवाल, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास श्री नीलेष रघुवंषी सहित विभिन्न मीडिया प्रतिनिधि मौजूद थे। अपर कलेक्टर श्री इवने ने इस अवसर पर कहा कि पोषण को एक जन आंदोलन बनाने की आवष्यकता है जो कि मीडिया प्रतिनिधियों के सक्रिय सहयोग से ही संभव है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग श्री भारद्वाज ने कार्यषाला में बताया कि मोटे अनाज, चटनी, अचार, पत्तेदार व रेषेदार सब्जियां बहुत सस्ते होते है, लेकिन बहुत अधिक पोष्टिक तत्व इनमें पाए जाते है, अतः इनका उपयोग करके गरीब वर्ग के लोग भी स्वस्थ्य व सुपोषित रह सकते है। उन्होंने मीडिया प्रतिनिधियों से कहा कि तिल्ली, मूंगफली, नारियल के तेल उपयोग खाने में लाये जाये तो परिवार के स्वास्थ्य के लिए अधिक लाभकारी होंगे। उन्होंने कहा कि बच्चों एवं महिलाओं के एनीमिया से निपटने के लिए जरूरी है कि आयरन के साथ साथ उन्हें विटामिन सी का सेवन भी कराया जाये। इसके लिए खाने में चटनी ,अचार जैसी खट्टी चीजे शामिल करना जरूरी है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ. खण्डेलवाल ने मीडिया प्रतिनिधियों को बताया कि बच्चे के गर्भ में आने के बाद के एक हजार दिन उसके जीवन में सबसे अधिक महत्वपूर्ण होते है, अर्थात बच्चा जब दो वर्ष का होता है तब तक उसका शरीर बहुत तेजी से विकसित होता है। इस दौरान आयरन, प्रोटिन, विटामिन, खनिज लवण का भोजन शामिल होना अति आवष्यक है। उन्होंने छोटे बच्चों को दिन में 3 बार भोजन व 2 बार नाष्ता कराने की सलाह दी।
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