सफलता की कहानी
इन्दु बाई का अपना पक्का घर बनाने का सपना बुढ़ापे में हुआ पूरा
इन्दु बाई का अपना पक्का घर बनाने का सपना बुढ़ापे में हुआ पूरा
प्रधानमंत्री आवास योजना से गरीबों के सपने हो रहे है साकार
खण्डवा 1 अगस्त, 2018 - पिछले 40-50 सालों से कच्ची झांेपड़ी में रहने वाली इन्दु बाई बताती है कि हर साल बरसात शुरू होने के पहले से ही रातों की नींद इस चिंता में उड़ जाती थी कि कच्चे झोपड़े में बरसात कैसे कटेगी, पर गरीबी के कारण व चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रही थी। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत मिली 2.50 लाख रूपये की मदद से आज इन्दु बाई पक्के मकान की मालिक बन गई है तथा घर में अपने बेटे ताराचंद, बहू व दो नाती पौतों के साथ बड़े आनंद से रह रही है।
इन्दु बाई बताती है कि उसका पति मनोहरी लाल जावर में मजदूरी करता था। रेल दुर्घटना मंे उसकी अचानक मृत्यु हो जाने से परिवार पर मानो संकटों का पहाड़ टूट पड़ा। जैसे तैसे मजदूरी करके अपने छोटे-छोटे दो बच्चों का पालन पोषण किया। जब बच्चे बड़े होने लगे तो जावर छोड़कर खण्डवा के इंदौर नाका क्षेत्र में एक झोपड़ी बनाकर रहने लगी। मजदूरी करके वह इतना नहीं कमा पाती थी कि बच्चों को भी पाल लें और मकान भी खरीद सके। इसी चिंता व परेषानी में समय गुजरता गया और इन्दु बाई बूढ़ी होने लगी पर खुद का पक्का मकान बनाने का उसका सपना पूरा होता नही दिख रहा था। तभी एक दिन पड़ोसी ने बताया कि सरकार गरीबों को पक्का मकान बनाने के लिए 2.50 लाख रूपये की मदद दे रही है तो इंदु बाई ने भी नगर निगम जाकर पूछताछ की और आवेदन कर दिया। उसकी खुषी का तब ठिकाना न रहा जब एक दिन उसे खबर मिली कि उसका प्रकरण स्वीकृत हो गया है। अपने जवान बेटे ताराचंद को उसने यह बात बताई , कुछ ही दिनों में मकान की राषि मिल गई, जिसमें ताराचंद ने भी मजदूरी करके पक्का मकान बनावा ही लिया। अभी कुछ दिन पहले ही मकान बनकर पूर्ण हो चुका है, जिसमें इंदु बाई अपने बेटे ताराचंद, बहू व दो नाती पौतों के साथ सपरिवार मजे से रह रही है।
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