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Thursday 23 August 2018

वर्षा ऋतु में मौसमी बीमारीयों से बचाव के प्रति सजग रहें

वर्षा ऋतु में मौसमी बीमारीयों से बचाव के प्रति सजग रहें

खण्डवा 23 अगस्त, 2018 - वर्षा ऋतु में संक्रामक रोग हैजा, उल्टी-दस्त, पैचिस, खसरा, मलेरिया, पीलिया आदि बीमारीयां उत्पन्न होती है। इस का मुख्य कारण पेयजल प्रदूषित होना। नदी, तालाब जैसे जल स्त्रोतों के पास जब लोग मल त्याग करते है तो मल में मौजूद रोगाणु पानी में मिल जाते है। जब लोग स्नान करते हैं, कपड़े धोते है या पशुओं को नहलाते है तो अनेक रोगाणु पानी में फैल सकते है जब पीने के लिए या भोजन पकाने के लिए ऐसे प्रदूषित व गंदे जल का उपयोग किया जाता है यह रोगाणु शरीर में प्रवेश कर के लोगों को कई प्रकार की बीमारियों से पीड़ित करते है। इसमें मुख्य रूप से दस्त, हैजा, टाईफाईड, पीलिया, खूनी पैचिस, तथा क्रिम कीड़े की बीमारी तथा आंव दस्त जैसी कई बीमारियां होती है। 
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. रतन खंडेलवाल ने  बताया गया है कि वर्षा ऋतु में जलजनित रोगों से बचाव के लिए आवश्यक सावधानियां रखना जरूरी है किं हमेशा शुद्ध जल स्त्रोत का प्रयोग करें, जैसे हेण्डपम्प, सार्वजनिक नल आदि इनका पानी प्रदूषित नहीं होता है। पेयजल के सबसे सुरक्षित साधनों में से एक साधन हेण्डपम्प है। पानी को हमेशा दोहरे कपड़े से छानकर इस्तेमाल करने से कई प्रकार की बीमारियों से बचा जा सकता है। कुंओं के पानी में नियमित ब्लीचिंग पाउडर डाला जाना चाहिए। 
पीने के पानी का रखरखाव इस प्रकार से हो किं पीने के पानी को हमेशा साफ बर्तन में ही रखा जावें, प्रतिदिन पानी के बर्तन को साफ करें ताकि उसमें काई न जमने पाए।  पीने के पानी को हमेशा ढककर रखें। पानी को दोहरे कपड़े से छानकर भरा जाना चाहिए। पानी निकालने के लिए लम्बे हेण्डिल वाले बर्तन का प्रयोग करें।  पीने के पानी में हाथ न डाले। एक घड़े या मटकें में एक क्लोरिन गोली पीसकर डालना चाहिए। आधे घण्टे तक इसे ढककर रखने के बाद ही पानी पीने के लिए उपयोग करना चाहिए, यह गोलियाॅ प्रत्येक स्वास्थ्य एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व ग्राम में डिपो होल्डर के पास निःशुल्क उपलब्ध है। 
दूषित पानी से होने वाली बीमारियों में दस्त रोग प्रमुख है, उल्टी-दस्त होने पर ओ.आर.एस. पैकेट एक लिटर स्वच्छ व शुद्ध पानी में घोलकर रोगी को पिलाना शुरू कर देना चाहिए। 24 घण्टे के अन्दर यह घोल अधिक से अधिक मात्रा में पिलाना चाहिए व 24 घण्टे के बाद बचा हुआ घोल फैककर दूसरे पेकेट का घोल बनाना चाहिए । दूध पीने वाले शिशु का दूध बंद नहीं करना चाहिए। दस्त के साथ उल्टीयां शुरू होने पर शीघ्र ही स्वास्थ्य कार्यकर्ता या चिकित्सक को बताकर उपचार लेना चाहिए। ओ.आर.एस. पैकेट सभी स्वास्थ्य कार्यकता, आंगनवाडी कार्यकर्ता, आशा कार्यकता के पास निःशुल्क उपलब्ध रहते है। बाजार में बिकने वाले सडे़ गले खाद्य सामग्री, फल आदि न खरीदे, ढके हुए व अच्छी खाद्य सामग्री, फल ही खरीद कर सेवन करें।

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