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Wednesday 21 December 2016

नर्मदा की कृपा से अब निमाड़ क्षेत्र होगा सिंचाई से सराबोर

नर्मदा की कृपा से अब निमाड़ क्षेत्र होगा सिंचाई से सराबोर
छैगांव माखन क्षेत्र के किसानों के जीवन में आयेगी खुषहाली

खण्डवा 21 दिसम्बर, 2016 - मध्यप्रदेश का निमाड अंचल देश की आजादी के बाद भी पांच दशकों तक सूखे से उपजे बहुआयामी कष्टों से जूझता रहा। सम्पूर्ण निमाड़ काली मिट्टी से भरा उपजाऊ क्षेत्र है। यहां के किसान भी पसीना बहाने वाले मेहनती किसान है। काली मिट्टी का क्षेत्र होने के कारण गन्ना, कपास, केला और पपीता जैसी नगद फसलों के उत्पादन की सम्भावना वाला निमाड़ सिंचाई साधनो के अभाव में गरीबी, बेरोजगारी और पिछडेपन से जूझने को विवश था। यह विडम्बना ही थी कि नर्मदा जैसी जल से भरपूर नदी होने के बावजूद इतने लम्बे समय तक इसके जल के उपयोग की सम्भावनाओं का दोहन करने पर समुचित ध्यान नही दिया गया।  
निमाड़ सहित सम्पूर्ण नर्मदा घाटी के किसानों के सुखद भविष्य की संभावना का बीजारोपण नवम्बर 2005 में हुआ जब श्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद का कार्यभार सम्हाला। सामान्य खेतीहर परिवार से मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे श्री चौहान नर्मदा किनारे के एक ऐसे गांव से आये थे जहां नर्मदा तो सदा जल सम्पन्न थी लेकिन नर्मदा के आसपास का क्षेत्र विपन्नता से जूझता था। मुख्यमंत्री के पद पर पहुंचने के बाद श्री चौहान ने देखा की न केवल उनका अपना इलाका अपितु नर्मदा के किनारों का विशाल नर्मदा अंचल नर्मदा जैसी नदी की सौगात के बावजूद पिछडेपन की त्रासदी झेल रहा था। नर्मदा के इस अनन्य भक्त ने इस विडम्बना से आहत होकर नर्मदा घाटी के विशाल क्षेत्र के कोने-कोने तक नर्मदा जल पहुंचाने का संकल्प लिया।  
नर्मदा घाटी विकास के लिये बांध सिंचाई परियोजनाओं की जो कार्ययोजना वर्ष 1972 में बनाई गई थी उस कार्ययोजना की कई महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजनायें तब तक सिंचाई देने लायक स्थिति में नहीं थी। किसी परियोजना में नहरें तो बन गई थी लेकिन बांधो का काम अधूरा पडा था। कुछ परियोजनाओं के बांध निर्माण हो चुके थे लेकिन नहरों का अता पता नही था। वर्ष 2005 के बाद नर्मदा सिंचाई परियोजनाओं के ऐसे आधे अधूरे और जटिल परिदृश्य में तेजी से सुधार परिलक्षित होने लगा। निमाड़ अंचल की सर्वाधिक महत्वपूर्ण इंदिरा सागर और ओंकारेश्वर सिंचाई परियोजनाओं की नहरों के निर्माण का कार्य अभियान की तर्ज पर आरम्भ किया गया। कई वर्षों तक नहरों का निर्माण नही होने से किसान इन परियोजनाओं से सिंचाई होने की बात पर विश्वास नही करते थे। नहरों का निर्माण होने से उनका अविश्वास विश्वास में परिवर्तित होने लगा। इन परियोजनाओं की नहरों के निर्माण के विरोध और निर्माण में व्यवधान उत्पन्न करने के लिये उच्च और उच्चतम न्यायालयों में कथित नर्मदा सेवकों द्वारा प्रचलित किये गये विवादों पर शिवराज सिंह चौहान ने एक मुख्यमंत्री के रूप में दृढता और इच्छा शक्ति का प्रदर्शन किया। इसका परिणाम यह हुआ कि सम्पूर्ण नर्मदा घाटी विशेषकर निमाड़ अंचल के किसानो के हितो के संरक्षण की प्रभावी दावेदारी प्रस्तुत की गई। व्यापक जनहित में मा. न्यायालयों से पारित विभिन्न निर्णयों से इन परियोजनाओं की नहरों के निर्माण के कार्य को गति मिली। 
पिछले एक दशक में नर्मदा घाटी में नर्मदा से सिंचित रकबा 80 हजार हेक्टेयर से बढकर 5 लाख हेक्टेयर हो गया है। सिंचाई का यह उल्लेखनीय विस्तार नर्मदा जल के समुचित दोहन की रणनीति और उसके पीछे मुख्यमंत्री की इच्छा शक्ति का ही परिणाम है। निमाड़ अंचल की महत्वाकांक्षी इंदिरा सागर परियोजना से पश्चिमी निमाड़ अर्थात खरगोन जिले का 69 हजार हेक्टेयर और बडवानी जिले का 36 हजार हेक्टेयर रकबा सिंचित होगा। इसी तरह पूर्वी निमाड़ अर्थात खण्डवा जिले का 19 हजार हेक्टेयर रकबा इंदिरा सागर परियोजना से सिंचित होगा। नर्मदा घाटी की ओंकारेश्वर सिंचाई परियोजना खरगोन जिले के 73 हजार हेक्टेयर रकबे और खण्डवा जिले के 200 हेक्टेयर रकबे को सिंचित करेगी। पुनासा उद्वहन सिंचाई योजना से खण्डवा जिले का 35 हजार हेक्टेयर रकबा सिंचित हो रहा है तो खरगोन जिले में अपरबेदा परियोजना से 10 हजार हेक्टेयर और कठोरा उद्वहन सिंचाई योजना से 7 हजार हेक्टेयर रकबा नर्मदा जल के सिंचाई कमाण्ड क्षेत्र में है। दूरस्थ बड़वानी जिले में नर्मदा की सहायक लोअरगोई नदी पर परियोजना बांध बनकर तैयार है। जल्द ही इस परियोजना से बड़वानी जिले के आदिवासी बहुल क्षेत्र के 13 हजार हेक्टेयर से अधिक रकबा सिंचित होने लगेगा।  
इन परियोजनाओं से सिंचाई के विस्तार के साथ ही मुख्यमंत्री को निमाड़ अंचल के उन क्षेत्रों की चिंता भी थी जहां भौगोलिक परिस्थितियों के कारण इन योजनाओं से बहाव द्वारा नर्मदा का जल पहुंचाना संभव नही था। नर्मदा घाटी के कोने-कोने तक नर्मदा का जल पहुंचाने के अपने संकल्प के तहत मुख्यमंत्री की पहल पर ऐसे सिंचाई से वंचित क्षेत्रो की पहचान की गई है। छैगांवमाखन उद्वहन सिंचाई योजना इस कडी की पहली योजना है जो खण्डवा जिले के इस क्षेत्र के लगभग 20 हजार किसानो को आने वाले तीन वर्ष में 35 हजार हेक्टेयर सिंचाई का लाभ देगी। मध्यप्रदेश सरकार के रणनीतिक प्रयासों और मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की निमाड़ अचंल के किसानो के प्रति विशेष अनुग्रह के चलते मॉं नर्मदा गांव-गांव और खेत-खेत तक पहुंचने लगी है। सम्पूर्ण निमाड़ मांॅ नर्मदा की कृपा से सिंचाई से सराबोर होकर कृषि क्रांति के पथ पर चल पडा है। 

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