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Thursday 28 November 2019

अब बोर्ड पैटर्न से होगा पाँचवीं व आठवीं के विद्यार्थियों का वार्षिक मूल्यांकन

अब बोर्ड पैटर्न से होगा पाँचवीं व आठवीं के विद्यार्थियों का वार्षिक मूल्यांकन

खण्डवा 28 नवम्बर, 2019 - स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ प्रभुराम चौधरी ने बुधवार को भोपाल में आयोजित एक मीडिया कार्यशाला में कहा कि राज्य सरकार का पूरा फोकस शिक्षा में गुणवत्ता सुधार पर केन्द्रित है। इस दिशा में लगातार नवाचार एवं सुधारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं। इस अवसर पर मंत्री डॉ. चौधरी ने बताया कि गुणवत्ता में सुधार की दृष्टि से विभागीय अधिकारियों, प्राचार्यों एवं शिक्षकों को स्थानीय निजी स्कूलों, दिल्ली, नोएडा एवं दक्षिण कोरिया के स्कूलों का भ्रमण कराया गया, ताकि प्रदेश में गुणवत्ता सुधार के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर की शिक्षा प्रणाली को लागू किया जा सके। उन्होंने बताया कि राज्य शासन द्वारा वर्तमान अकादमिक सत्र से कक्षा 5वीं और 8वीं के बच्चों का बोर्ड पैटर्न पर वार्षिक मूल्यांकन किये जाने का निर्णय लिया गया है। कक्षा 5वीं और 8वीं की परीक्षा में पास होने के लिए विद्यार्थियों को 33 प्रतिशत अंक प्राप्त करना होंगे। ऐसा न होने पर 2 माह बाद पुनः परीक्षा ली जाएगी। मंत्री डॉ. चौधरी ने जानकारी दी कि विद्यार्थियों को राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन करने योग्य बनाने के उद्देश्य से प्रदेश में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू किया गया है। सत्र 2019-20 में कक्षा 6वीं से 10वीं तक सामाजिक विज्ञान और कक्षा 11वीं में कला संकाय की एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू कर दिया गया है। वर्ष 2021-22 तक क्रमिक चरणों में सभी विद्यालयों में कक्षा 9वीं से 12वीं तक के सभी विषयों में यह पाठ्यक्रम लागू कर दिया जाएगा।
स्कूल शिक्षा मंत्री ने बताया कि विभाग द्वारा समुचित कॉपी चेकिंग व्यवस्था पर बल दिया गया है। कॉपी चेकिंग में सुधार के लिये सघन अभियान चलाया गया। राज्य एवं जिला स्तर के अधिकारियों ने स्कूलों का भ्रमण कर सुनिश्चित किया कि विद्यार्थियों की कॉपियाँ सही तरीके से चेक की जाएं। उन्होंने बताया कि अभियान में लगभग 3000 विद्यालयों में शिक्षकों द्वारा की जा रही कॉपी चेकिंग की जांच की गई। कॉपी चेक नहीं करने वाले तथा करेक्शन अंकित नहीं करने वाले शिक्षकों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही भी की गई। गलती करने वाले शिक्षकों की वेतन-वृद्धि रोकने और वेतन कटौती की कार्यवाही भी की गई। लापरवाही बरतने वाले शिक्षकों को शोकॉज नोटिस जारी किए गए। डॉ. प्रभुराम चौधरी ने बताया कि तीस प्रतिशत से कम परीक्षा परिणाम देने वाले शिक्षकों की दक्षता का आकलन करने के लिए परीक्षा आयोजित की गई, जिसमें 6 हजार से ज्यादा शिक्षकों को शामिल किया गया। शिक्षकों की दक्षता सुधार के लिए प्रशिक्षण भी आयोजित किया गया। जिन शिक्षकों के परीक्षा परिणाम अच्छे नहीं रहे, उनके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की गई।
पालकों एवं शिक्षकों के मध्य संवाद
       मंत्री डॉ. चौधरी ने जानकारी दी कि अभिभावकों एवं शिक्षकों के मध्य संवाद स्थापित करने के लिए नियमित पालक-शिक्षक बैठक (पीटीएम) की व्यवस्था की गई। इस बैठक में छात्र की प्रोफाइलिंग, दक्षता उन्नयन वर्क बुक, प्रतिभा-पर्व परिणाम, ब्रिज-कोर्स और अर्द्धवार्षिक परीक्षा पर शिक्षकों एवं अभिभावकों के मध्य चर्चा हुई। इन बैठकों में लगभग 40 लाख अभिभावकों ने भाग लिया। इसके अलावा, बाल दिवस पर श्प्रिय अभिभावकश् नाम से एक पत्र भी अभिभावकों को भेजा गया, जिसमें छात्र-छात्राओं की गुणवत्ता और दक्षता में सुधार के लिए उनकी पढ़ाई पर ध्यान देने संबंधी अपील की गई। डॉ. प्रभुराम चौधरी ने बताया कि, प्रदेश में ‘‘वॉल आफ फेम‘‘ नाम से सम्मान योजना प्रारंभ की गई है। यह योजना कक्षा तीसरी से आठवीं तक के विद्यार्थियों में बुनियादी दक्षता के उन्नयन के लिए शिक्षकों और शालाओं द्वारा किये जा रहे प्रयासों को सम्मान एवं प्रोत्साहन देने के लिए प्रारंभ की गई है। इसके अन्तर्गत तीन श्रेणियां कांस्य, रजत एवं स्वर्ण चौम्पियन शामिल हैं। यह बेसलाईन, मिडिल लाईन, एण्ड लाईन टेस्ट में बुनियादी दक्षता प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के प्रतिशत पर आधारित है। इस योजना के अन्तर्गत इस वर्ष प्रदेश में 851 स्वर्ण चौम्पियन, 2187 रजत चौम्पियन और 4566 कांस्य चौम्पियन प्रमाण-पत्र सहित कुल 7600 विद्यालयों को अवार्ड प्रदान किए गए हैं। 
गरीब बच्चों का प्रायवेट स्कूल में प्रवेश
        उन्होंने बताया कि निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम के अंतर्गत प्रदेश के प्रायवेट स्कूलों की प्रवेशित कक्षा में कमजोर वर्ग के बच्चों के लिये 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित कर लगभग 12 लाख से अधिक बच्चों का निःशुल्क प्रवेश करवाया गया है। डॉ. चौधरी ने कहा किशिक्षकों की कमी को भी क्रमवार रूप से पूरा किया जा रहा है। उच्च माध्यमिक शिक्षक एवं माध्यमिक शिक्षक वर्ग के लिए पात्रता परीक्षा आयोजित की गई है। इसमें लगभग 22 हजार शिक्षकों की शीघ्र ही नियुक्ति की जाएगी। डॉ. चौधरी ने कहा कि एलीमेंट्री एजुकेशन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, क्योंकि प्री-प्रायमरी शिक्षा बच्चों की संज्ञानात्मक, मानसिक और शारीरिक क्षमताओं को सुनिश्चित करती है। इससे प्रारंभ से ही विद्यार्थियों में शिक्षा की नींव मजबूत होती है। उन्होंने बताया कि 5 जिलों छिन्दवाड़ा, भोपाल, सागर, शहडोल एवं सीहोर के 15 विद्यालयों में प्री-प्रायमरी शिक्षा के लिये पायलट प्रोजेक्ट क्रियान्वित किया जा रहा है। इसे आगे वृहद् रूप में लागू किया जाएगा।

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