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Friday 14 October 2016

डेंगू बुखार-बचाव, उपचार एवं रोकथाम के उपाय

डेंगू बुखार-बचाव, उपचार एवं रोकथाम के उपाय

खण्डवा 14 अक्टूबर 2016 - आजकल प्रदेश के विभिन्न जिलों में डेंगू बुखार की जानकारी प्राप्त हो रही है। डेंगू बुखार न फैले इस हेतु हमें सतर्क रहने की आवश्यकता है, जिसके लिए डेंगू बुखार के संबंध में विस्तार से जानकारी होना भी बहुत जरूरी है। मलेरिया अधिकारी श्रीमती मनीषा जुनेजा ने बताया कि डेंगू बुखार एक प्रकार के वायरस, जिसे “डेन वायरस” भी कहते हैं, की वजह से होता है। एक बार शरीर में वायरस के प्रवेश करने के बाद डेंगू बुखार के लक्षण सामान्यतया 5 से 6 दिन के पश्चात मालूम पड़ते हैं। डेंगू बुखार का वायरस एडीज नामक मच्छर के काटने से रोगी व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में फैलता है। यह मच्छर दिन के समय काटता है। मच्छर के शरीर में एक बार वायरस के पहुंचने के पश्चात् पूरी जिन्दगी बीमारी में सक्षम होता है।  
मच्छरों पर नियंत्रण के उपाय
शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के घरों में आजकल पानी को संचय करने की प्रवृत्ति होने से अक्सर सभी व्यक्ति घरों में पानी कंटेनर में 5-7 दिन से ज्यादा रखने लगे हैं। सीमेंट की टंकी, प्लास्टिक की टंकी, पानी का हौद, नांद, मटका, घरों में रखे हुए फूलदान, जिसमें अक्सर मनी प्लान्ट लगाते हैं, पशुओं के पानी पीने के स्थान, टायर, टूटे-फूटे सामान, जिसमें बारिस का पानी जमा होता रहता है, में एडीज मच्छर पैदा होता है। अक्सर यह देखते हैं कि ये कंटेनर ढके हुए नहीं रहते हैं, जिससे इनमें मच्छर पैदा होते रहते हैं। यदि हम इन कंटेनर में भरे हुए पानी को गौर से देखें तो इनमें कुछ कीडे़ ऊपर-नीचे चलते हुए दिखाई देते हैं। ये ही कीड़े मच्छर बनते हैं। अब हमें ज्ञात है कि कीड़ों से मच्छर बनते हैं और मच्छर से डेंगू बीमारी फैलती है तो इन कीड़ों का नाश करना जरूरी है। इसके अलावा पेराथ्रम नाम की दवाई को केरोसिन में मिलाकर छिड़कने से मच्छर नष्ट होते हैं, जो स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के पास उपलब्ध हैं। मच्छरों के काटने से बचने के लिए कई उपाय किये जा सकते हैं।
लार्वा कीड़ों के विनाश के उपाय
लार्वा पानी में रहते हैं, इसलिये इन सभी कंटेनर का प्रत्येक सप्ताह में एक बार पानी निकाल देना चाहिए और साफ करके फिर से पानी भरना चाहिए। इन सभी कंटेनर को इस प्रकार से ढंककर रखना चाहिए कि इनमें मच्छर प्रवेश नहीं कर सकें और अण्डे नहीं दे सकें। मच्छर के कीड़े स्पष्ट दिखाई देते हैं, इसलिये इन्हें चाय की छन्नी से भी निकाला जा सकता है। ये कीड़े पानी से बाहर निकालने के बाद स्वतः मर जाते हैं। इस प्रकार का अभियान अपने घर में चलाकर मच्छरों की उत्पत्ति रोकना जरूरी है। 
डेंगू बीमारी के लक्षण 
सामान्यतया बुखार 102 से 104 डिग्री फारेनहाइट, जो लगातार 2 से 7 दिन की अवधि तक रहता है। बुखार के साथ-साथ यदि निम्नलिखित लक्षणों में से 2 से अधिक लक्षण मिलें तो डेंगू का संभावित मरीज हो सकता है रू- तेज सिर दर्द होना, आँखों के आसपास दर्द होना, माँसपेशियों में दर्द होना, जोड़ों में दर्द, शरीर पर चकत्ते बनना। यदि उपरोक्त के साथ-साथ मसूड़ों से अथवा आंतों से रक्तस्त्राव का होना अथवा खून में प्लेटलेट का कम होना लक्षण पाये जायें तो यह गंभीर प्रकार का डेंगू बुखार हो सकता है, जो घातक हो सकता है। इसमें तत्काल अस्पताल में इलाज लेना चाहिए। 
डेंगू बीमारी का निदान
आजकल जाँच हेतु रेपिड डाइग्नोस्टिक किट भी उपलब्ध हो रहे हैं। डेंगू बुखार होने पर तत्काल चिकित्सक से सम्पर्क किया जाना चाहिये। डेंगू बुखार एक वायरस की वजह से होता है एवं वायरस का वर्तमान में इलाज संभव है, इसलिये मरीज में बीमारी के जो-जो लक्षण दिखाई देते हैं, उसी अनुसार मरीज का उपचार किया जाता है। डेंगू बुखार में मरीज को सेलिसिलेट व एस्प्रिन गोली का सेवन नहीं करना चाहिये। पैरासिटामोल गोली का सेवन किया जा सकता है, किन्तु उपचार डॉक्टर की सलाह से ही लेना चाहिए। सामान्यतया 80 से 90 प्रतिशत मरीज 5 से 7 दिनों में स्वस्थ हो जाते हैं।

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