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Thursday 28 July 2016

सोयाबीन कृषको के लिए उपयोगी सलाह

सोयाबीन कृषको के लिए उपयोगी सलाह

खण्डवा 28 जुलाई, 2016 - वर्तमान मंे सोयाबीन की फसल एक माह की हो चुकी है। फसल की स्थिति को ध्यान में रखते हुए कृषको को सलाह दी जाती है कि कुछ स्थानों पर लगातार वर्षा होने के कारण सामान्य पौध संरक्षण उपाय विषेषतः कीटनाषको का छिड़काव नही हो पाया होगा। ऐसी स्थिति में तम्बाकु के लिए एवं अन्य पर्णभक्षी कीट का प्रकोप होने की आषंका होती है। प्रारंभ में ये इल्लिया झुण्ड में रहकर पत्तियो का हरा भाग खाती है। जिससे ग्रसित पौधा सफेद जालीदार हो जाता है। ऐसे पौधो को पहचान कर नष्ट कर देना चाहिए। फसल में फूल आने पर यह इल्लिया फूलों को नुकसान पहॅंुचाती है। जो कि सामान्यतः उपर से दिखाई नही देता है। अतः अनुषंसा की जाती है कि वर्षा रूकने अथवा कम होने पर फसल का सूक्ष्मतापूर्वक निरीक्षण करे एवं इल्लिया दिखाई देने पर क्विनालफॉस 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर अथवा इन्उोक्साकार्ब 500 मिली लीटर प्रति हेक्टेयर अथवा क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 100 मिली लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 500 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें। उप संचालक कृषि श्री ओ.पी. चौरे ने बताया कि कृषको को यह सलाह दी है कि तीन सप्ताह तक की सोयाबीन फसल में आगामी 30-40 दिन तक पर्णभक्षी एवं रससूचक कीटो से बचाव हेतु क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 100 मिली लीटर प्रति हेक्टेयर का छिड़काव किया जा सकता है। लगभग 1 माह कि सोयाबीन फसल होने पर चक्रभृंग गर्डल बीटल का प्रकोप प्रारंभ होने की संभावना रहती है। कृषको को सलाह है कि वे नियमित रूप से फसल की निगरानी करे तथा लक्षण दिखते ही ट्राइजोफास 800 मिली लीटर प्रति हेक्टेयर अथवा थायक्लोप्रीड 650 मिली लीटर प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करे तथा ग्रसित पौध अवषेषी को प्रारंभिक अवस्था में ही तोड़ कर निष्कासित करें।
उप संचालक कृषि श्री चौरे ने बताया कि अधिक वर्षा होने एवं खेत में अधिक समय तक पानी जमा रहने के कारण सोयाबीन के खेतो मंे गर्दनी सड़न का प्रकोप होता है। कृषको को सलाह है कि खेतो से अतिरिक्त पानी के निकासी की व्यवस्था करे साथ ही हस्तचलित डोरा चलाएं एवं कार्बेन्डाजिम 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से पौधो की जड़ो के पास नोजल रहित स्प्रेयर की सहायता से उपयोग करे। सोयाबीन की फसल में पीला मोजाइक बीमारी के फैलाव को रोकने हेतु ग्रसित पौधे दिखने पर उन्हें तुरंत उखाड़कर नष्ट करे। सोयाबीन की फसल 15-20 दिन की होने पर खरपतवार नियंत्रण आवष्यक है। खरपतवार नियंत्रण के लिए अन्य विधियों हाथ से निंदाई, डोरा व कुल्पा या बौवनी के पष्चात खड़ी फसल मंे उपयोगी खरपतवार नाषक इमाझेथापीर, क्विझालोकॉप इथाइल , क्विझालोफॉप-पी-टेफूरील, फिनोक्सीप्रॉ-पी- इथाइल 1 लीटर प्रति हेक्टेयर या क्लोरीमुरान इथाइल दर 36 ग्राम प्रति हेक्टेयर रसायनो का छिड़काव कर खरपतरवार नियंत्रण अवष्य रूप से करे। 

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