सोयाबीन कृषको के लिए उपयोगी सलाह
खण्डवा 15 जुलाई, 2016 - वर्तमान में सोयाबीन खेती करने वाले प्रायः सभी क्षेत्रो मंे सोयाबीन की बोनी पूर्ण हो गई होगी। उप संचालक कृषि श्री ओ.पी. चौरे ने बताया कि फसल की स्थिति को ध्यान में रखते हुए कृषको को उपयोगी सलाह दी जाती है कि अधिक वर्षा होने की स्थिति में सोयाबीन की फसल मंे पानी जमा रहने से नुकसान हो सकता है। खेतो से अतिरिक्त पानी के निकासी की व्यवस्था करे। सोयाबीन की फसल 15-20 दिन की होने पर खरपतवार नियंत्रण आवष्यक है। खरपतवार नियंत्रण के लिए अन्य विधियों हाथ से निदाई, डोरा, कुल्पा या बोनी के पष्चात खड़ी फसल में उपयोगी खरपतवार नाषक इमिजाथाइपर या क्विझालोफाल इथाइल या क्विझालोफाप -पी-टेफूरील अथवा फिनोक्सीप्रॉप-पी- इथाइल 1 लीटर प्रति हेक्टेयर या क्लोरीमुरान इथाइल दर 36 ग्राम प्रति हेक्टेयर रसायनो का छिड़काव कर खरपतवार नियंत्रण अवष्य रूप से करे। कृषको को यह भी सलाह है कि आगामी 30-40 दिन तक पर्णभक्षी एवं रसचुसक कीटो से बचाव हेतु क्लोरएन्ट्रामिलिप्रोल 100 मिली लीटर प्रति हेक्टेयर की मात्रा उपरोक्त अनुषासित खरपतवार नाषको के साथ मिलाकर छिड़काव किया जा सकता है। उगी हुई सोयाबीन की फसल में लगातार वर्षा होने या भूमि में पर्याप्त नमी होने की स्थिति में नीला भ्रंग से पौधो को नुकसान हो सकता है। यदि नीला भ्रंग की समस्या है तो इसके नियंत्रण हेतु क्विनालफास 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करे। सोयाबीन की फसल पर प्रकोप करने वाले कीटो की पहचान हेतु सतत खेत की निगरानी कर अनुषंसित किटनाषक का छिड़काव कर नियंत्रण करे।
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