सोयाबीन की फसल में खरपतवार नियंत्रण के उपाय जरूर करें किसान
खण्डवा 30 जुलाई, 2016 - जिन किसान भाईयों की सोयाबीन की फसल 20 से 25 दिनों की हो गई है उन्हें उपसंचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास श्री ओ.पी. चौरे ने सलाह दी है कि वहां खरपतवार नियंत्रण आवष्यक रूप से किया जावे। फसल की प्रारंभिक अवस्था में 30 से 45 दिनों तक खरपतवारों का प्रकोप अधिक होता है, जिनका नियंत्रण किया जाना आवष्यक है। यदि किसान भाई खरपतवार नियंत्रण नहीं करते हैं तो फसल के पौधे कमजोर एवं पतले हो जाते हैं जिसके परिणाम स्वरूप फसल का उत्पादन प्रभावित होता है और उत्पादन कम हो जाता है। भौतिक विधियों से खरपतवारों के नियंत्रण हेतु बतर प्राप्त होने पर डोरा या कुलफा चकाकर खरपतवारों को नष्ट करें। इस विधि से खरपतवार नियंत्रण करने पर खरपतवारों के सड़ने से फसल को जबकि खाद भी प्राप्त हो जाता है। यदि भौतिक विधियों से खरपतवारों का नियंत्रण करना संभव न हो सके तो उस स्थिति में किसान भाई रासायनिक विधियों से भी खरपतवारों का नियंत्रण कर सकते है।
उपसंचालक कृषि श्री चौरे ने बताया कि फसल 20 से 25 दिनों की होने पर सकरी पत्ती के खरपतवारों के नियंत्रण हेतु क्यूजेलेकोप इथाइल एक लीटर प्रति हेक्टेयर अथवा सकरी एवं चौड़ी पत्ती दोनों प्रकार के खरपतवारों के नियंत्रण हेतु इमेजाथाफायर 750 मिली दवा प्रति हेक्टेयर उपयोग किया जा सकता है। रासायनिक विधि से दवाओं के द्वारा खरपतवारों नियंत्रण करने हेतु खेतों में नमी का होना आवष्यक है तथा दवा का छिड़काव समुचित रूप से हो 20-25 स्प्रिेयर पंप पानी प्रति हेक्टेयर अवष्य उपयोग किया जावे। दवा का छिडकाव करते समय सावधानी आवष्यक है। हाथों में दस्ताने पहनना चाहिए तथा मुंह पर कपड़ा बांधकर हवा की दिषा में छिड़काव करना चाहिए। अधिक जानकारी हेतु अपने क्षेत्र के कृषि विस्तार अधिकारी या वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी से संपर्क कर सकते है।
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