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Wednesday 18 November 2020

सहकारिता से ही साकार होगा ‘‘आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश‘‘ का सपना

 विशेष लेख

सहकारिता से ही साकार होगा ‘‘आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश‘‘ का सपना

खण्डवा 18 नवम्बर, 2020 - भारतीय संस्कृति का मूल भाव है ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ तथा ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ और यही भाव सहकारिता का भी है। सहकारिता भारत की मौलिक सोच है, यह कहीं से आयातित विचार नहीं है। यही कारण है कि भारत के जन-मानस में, खासतौर पर किसानों, पशुपालकों, स्व-सहायता समूहों आदि को सहकारिता मॉडल सर्वथा योग्य लगता है। मध्यप्रदेश सरकार ने सहकारिता आंदोलन के प्रति अपनी अनुकूल नीतियों और पिछले 15 वर्षों में लाभप्रद कृषि योजनाओं के माध्यम से प्रदेश को अधिशेष खाद्यान्न उत्पादन राज्य बनाया, जिसके कारण ही विगत 5 वर्षों से मध्यप्रदेश को भारत सरकार से लगातार कृषि कर्मण पुरस्कार प्राप्त होते रहे। प्रदेश सरकार ने हमेशा कृषि के विकास तथा किसानों के कल्याण पर ध्यान केन्द्रित किया है। भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आव्हान पर ‘आत्मनिर्भर भारत’ की तर्ज पर राज्य ने ‘आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश’ के रोडमेप में ‘लोकल के लिये वोकल’ को मूर्त रूप देना प्रारंभ कर दिया है।

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश सरकार इन चुनौतियों से निपटने की दिशा में तेजी से कार्य कर रही है। राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि प्रदेश में लघु एवं सीमांत कृषक केन्द्रित अनुसंधान एवं तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने के लिये राज्य सहकारी बैंक के स्तर पर ‘केपिटल फण्ड’ स्थापित किया जायेगा। इस फण्ड के माध्यम से कृषि तकनीकों के नये अनुसंधान को पेटेंट कराया जायेगा और व्यावसायिक उत्पादन करने हेतु उद्यमियों को आवश्यक सहायता उपलब्ध कराई जायेगी। लघु एवं सीमांत कृषकों को मजबूत बनाने के लिये एपेक्स बैंक के माध्यम से एक ‘वैंचर केपिटल फण्ड’ स्थापित करने का भी निर्णय लिया है। यह वैंचर केपिटल फण्ड एक प्रकार का वित्त पोषण होगा, जिसमें एपेक्स बैंक लघु और सीमांत किसानों के लिये सहायक नवाचारकर्ताओं, फेब्रिकेटर, शोधकर्ताओं और अनुसंधान संगठनों, स्टार्ट-अप कम्पनियों के माध्यम से विकसित किये गये उपकरण, प्रौद्योगिकी और कृषि पद्धतियों के अनुसंधान, नवाचारों और वाणिज्यिक उत्पादन के लिये वित्तीय सहयोग प्रदान करेगा। यह फण्ड नवाचारों के पेटेंट में भी सहयोग करेगा।

यह भी प्रयास किया जा रहा है कि प्रदेश की सभी प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों के कम्प्यूटराईजेशन का कार्य इस प्रकार कराया जाये, जिससे कि समितियों पर अनावश्यक वित्तीय भार न आये। सहकारिता मंत्री डॉ. अरविंद सिंह भदौरिया ने बताया कि राज्य शासन ने इस हेतु वर्ष 2020-21 के बजट में सहकारिता विभाग के लिये 20 करोड़ का प्रावधान रखा है। उन्होंने बताया कि हमारा यह प्रयास होगा कि इस कार्यवाही को एक समयबद्ध कार्य योजना बनाकर पूर्ण किया जाये। सहकारी समितियों के पंजीयन की व्यवस्था को फेसलेस, पारदर्शी, डिजिटल एवं आम जनता के लिये सुगम व सुविधाजनक बनाया जा रहा है। सहकारिता विभाग की सेवाएँ भी लोक सेवा गारंटी के दायरे में लायी गई हैं। सहकारिता मंत्री डॉ. भदौरिया का मानना है कि सहकारिता हमारा जीवन-दर्शन है। हमारी सदियों पुरानी जीवन पद्धति है। पहले इसकी गतिविधियों का केन्द्र केवल ग्रामीण क्षेत्र हुआ करता था, लेकिन आज यह नगरीय सहकारी बैंकों के माध्यम से शहरों में भी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। हरित-क्रांति हो या श्वेत-क्रांति या फिर नीली और पीली क्रांति, सभी की आत्मा में सहकारिता का वास है। सहकारी बैंकों एवं प्राथमिक कृषि साख समितियों के कार्यों में पारदर्शिता लाकर सहकारी आंदोलन को मजबूत बनायेंगे। प्रदेश के किसानों को आधुनिक बैंकिंग की सुविधा उपलब्ध कराते हुए ‘आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश’ के निर्माण हेतु हरसंभव कार्यवाही करेंगे।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी को दोगुना करने का संकल्प लिया है। मध्यप्रदेश में भी इस दिशा में तेजी से प्रयास किये जा रहे हैं। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के जन्म-दिवस के उपलक्ष्य में राज्य में मनाये गये गरीब कल्याण सप्ताह के अन्तर्गत आयोजित कार्यक्रम में 63 हजार नवीन किसान, पशुपालक, मत्स्य-पालक हितग्राहियों को किसान क्रेडिट-कार्ड प्रदान किये। इन किसानों के लिये राज्य शासन द्वारा 335 करोड़ रुपये की साख सीमा भी स्वीकृत की गई। उन्होंने शून्य प्रतिशत ब्याज पर किसानों को ऋण उपलब्ध कराने के लिये 800 करोड़ रुपये की सहायता भी सहकारी बैंकों को प्रदान की। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के कृषक हितग्राहियों को अतिरिक्त सहायता दिये जाने के लिये मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना शुरू की है। इस योजना में दो किश्तों में 4 हजार रुपये राज्य सरकार द्वारा किसानों को प्रदान किये जायेंगे। इस प्रकार किसानों को प्रतिवर्ष कुल 10 हजार रुपये की राशि प्राप्त होगी। 


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