कीटनाशक दवाओं के छिड़काव कर टिड्डी दल को खदेड़ा गया
खण्डवा 23 मई, 2020 - प्रदेश में टिड्डी दलों के निगरानी एवं नियंत्रण का कार्य प्रभावी रूप से किया जा रहा है। प्रदेश के सभी जिलों के उप संचालक कृषि जिला प्रशासन के समन्वय से सतत निगरानी एवं नियंत्रण का कार्य कर रहे हैं, साथ ही स्थानीय कृषकों का सराहनीय सहयोग प्राप्त हो रहा है। उप संचालक कृषि श्री आर.एस. गुप्ता ने बताया कि खण्डवा जिले में टिड्डी दल से निपटने के लिए ट्रैक्टर-चलित स्प्रे पम्प और फायर ब्रिगेड के माध्यम से कीटनाशक दवाओं का छिड़काव कर उन्हें खदेड़ा जाता है। साथ ही केन्द्रीय टिड्डी नियंत्रण दल द्वारा भी पृथक से कीटनाशकों का छिड़काव किया गया, जिसके प्रभावी परिणाम प्राप्त हुए। उन्होंने बताया कि टिड्डी दल के नियंत्रण के लिये जिला स्तर व अनुभाग स्तर पर भी निगरानी गठित किए गए है। राज्य स्तर पर भी नियंत्रण कक्ष स्थापित है, जिसका दूरभाष क्रमांक 0755-2558823 है। जिला स्तर पर किसान भाई 0733-2223234 नम्बर पर टिड्डी दल की सूचना प्रशासन को दे सकते है।
उप संचालक कृषि श्री गुप्ता ने बताया कि अब तक खण्डवा जिले के ग्राम अमलाय, भोजूढाना, जामनिया सरसरी, पटाजन से टिड्डी दल के गुजरने की खबर कृषि विभाग के अमले ने दी है। उन्होंने बताया कि हरसूद विकासखण्ड के ग्राम बमनगांव में टिड्डी दल की उपस्थिति की सूचना मिलते ही कृषि व राजस्व विभाग के अमले ने तत्काल कीटनाशक छिड़काव कराया। आवश्यकता पड़ने पर कीटनाशक छिड़काव के लिए फायर ब्रिगेड की व्यवस्था भी तैयार रखी गई है। श्री गुप्ता ने बताया कि पुनासा विकासखण्ड के ग्राम पुरनी, बिजोरा, भगवानपुरा में भी टिड्डी दल के आगमन की सूचना प्राप्त हुई थी। इससे पूर्व बलड़ी विकासखण्ड के ग्राम गंभीर में भी टिड्डी दल एक पेड़ पर व आसपास के खेतों में देखा गया था, सभी ग्रामों में टिड्डी दल को कीटनाशक का छिड़काव करकेे भगा दिया गया है। उप संचालक कृषि श्री गुप्ता ने बताया कि राजस्थान सीमा से यह टिड्डी दल नीमच, मन्दसौर जिले की सीमा से होते हुए खण्डवा जिले के बलड़ी विकासखण्ड के ग्राम पामाखेडी पहुंचा था, वहां भी राजस्व व कृषि विभाग के अमले ने फायर बिग्रेड के माध्यम से कीटनाशक छिड़काव कर टिड्डी दल को गांव से खदेड़ दिया। एसडीएम डॉ. ममता खेडे ने बताया कि समय पर सूचना मिलने से कृषि व राजस्व विभाग के अमले ने मिलकर समय रहते टिड्डी दल पर नियंत्रण पा लिया, जिससे फसलों को न्यूनतम नुकसान हुआ है।
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