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Tuesday 28 January 2020

बाल विवाह एक सामाजिक कुरीति है इसे मिटाने में सहयोग दें

बाल विवाह एक सामाजिक कुरीति है इसे मिटाने में सहयोग दें

खण्डवा 28 जनवरी, 2020 - बाल विवाह एक सामाजिक कुरीति है, जिसके कारण देष में हजारों बालक व बालिकाओं को समय के पूर्व ही पारिवारिक बंधनों में बांध कर माता पिता द्वारा उनके भविष्य से खिलवाड़ किया जाता है। सरकार द्वारा इस कुरीति को समाज से पूर्णतः समाप्त करने के उद्देष्य से बाल विवाह निषेध अधिनियम लागू किया गया है, जिसके अंतर्गत बाल विवाह करवाने वाले वर-वधु दोनों पक्षों के माता पिता, भाई बहन, अन्य पारिवारिक सदस्यों, विवाह करवाने वाले पंडित अथवा अन्य धर्मगुरू, विवाह में शामिल बाराती, घराती, बाजे वाले, घोड़े वाले, हलवाई तथा अन्य सभी उक्त कार्यक्रम से संबंधित व्यक्तियों पर कानूनी कार्यवाही की जावेगी। 
       जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग श्रीमती अंषुबाला मसीह ने नागरिकों से अनुरोध किया है कि वे अपनी लड़की की 18 वर्ष एवं लड़के की 21 वर्ष की आयु से पूर्व किसी भी दषा में शादी न करें। उन्होंने सभी नागरिकों से भी अनुरोध किया है कि ऐसे किसी भी विवाह कार्यक्रम में ना तो शामिल हों और ना ही अपनी सेवाएं देवें, जिनमें कि निर्धारित उम्र से कम आयु वाले दुल्हा दूल्हन की शादी हो रही हो  अन्यथा उनके विरूद्ध भी कानूनी कार्यवाही की जा सकती है।  श्रीमती मसीह ने बताया कि बाल विवाह पाए जाने पर संबंधित विवाह कराने वाले धर्मगुरूओं तथा विवाह पत्रिका छापने वाली प्रिटिंग प्रेस के विरूद्ध भी कार्यवाही की जा सकती है। अतः वर वधु की सही आयु की संतुष्टि हेतु उनके मूल जन्म प्रमाण पत्र, अंकसूची, स्कूल की टी.सी. आदि की सत्यापित छायाप्रति प्राप्त कर अपने पास अनिवार्य रूप से संग्रहित करें तथा उम्र सही न होने की दषा में विवाह कदापि न करवाएं और ना ही मुद्रक संस्थाएं ऐसी पत्रिका छापें। यदि संभव हो तो वर वधु की जन्म तिथि का पत्रिका में मुद्रण भी मुद्रित करें। उन्होंने अपील की है कि बाल विवाह संबंधी प्रकरणों की सूचना तत्काल कार्यालय महिला एवं बाल विकास विभाग खण्डवा में अथवा उनके दूरभाष क्रमांक 0733-2222140 पर देवें। सूचनाकर्ता की जानकारी पूर्णतः गोपनीय रखी जावेगी। 

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