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Tuesday, 2 April 2019

तेज गर्मी और लू से बचने के लिए सावधानी बरतें

तेज गर्मी और लू से बचने के लिए सावधानी बरतें

खण्डवा 2 अप्रैल, 2019 - ग्रीष्मकाल में बढ़ते तापमान एवं लू से बचने के लिए जिले के नागरिकों से सावधानियाॅं बरतने का आग्रह मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. डी.एस. चैहान ने किया है। उन्होंने सभी नागरिको से अपील की है कि जिले में ग्रीष्मकाल में अप्रैल माह से जून माह तक 40 डिग्री सेल्सियस के उपर तापमान पहुंच जाता है। इन महीनों में अधिक देर तक घर से बाहर धूप में रहने से लू के शिकार हो सकते है। उन्होंने बताया कि लू से शिकार व्यक्ति को तेज सिर दर्द होता है मुंह-जुबान सूखने लगती है, माथे, हाथ व पैर में पसीना आता है व घबराहट होती है और प्यास लगती है, उल्टी होती है, भूख नहीं लगती है तथा हालत अधिक खराब होने से मरीज बेहोश हो जाता है। उन्होंने बताया कि त्वचा एकदम शुष्क और तापमान 105 डिग्री फेरेनहाइट तक हो जाता है। गर्मी के कारण शरीर मेेें पानी की कमी हो जाती है, बुखार हाथ पैरों में दर्द, आंखों और पैशाब में जलन के साथ ही कभी-कभी दस्त भी लगते है। साथ  ही पानी की कमी के कारण मृत्यु का खतरा भी बना रहता है। 
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. डी.एस. चैहान ने बताया कि गर्मी के मौसम में गर्दन के पिछले भाग, कान व सिर को गमछे या तौलिये से ढ़ककर ही धूप में निकलें एवं रंगीन चश्में व छतरी का प्रयोग करें। गर्मी के दिनों में धूप में बाहर जाते समय हमेशा सफेद या हल्के रंग के ढीले कपड़ों का प्रयोग करें। बिना भोजन किये बाहर न निकलें , भोजन करके एवं पानी पीकर ही बाहर निकले। गर्मी में हमेंशा पानी अधिक मात्रा में पियंे एवं पेय पदार्थों का अधिक-से-अधिक मात्रा में सेवन करें। जहाॅं तक संभव हो ज्यादा समय तक धूप में खड़े होकर व्यायाम या मेहनत न करें एवं बहुत अधिक भीड़, गर्म घुटन भरे कमरों, रेल, बस आदि की यात्रा गर्मी के मौसम में नहीं करें। यदि कोई व्यक्ति लू-तापधात से प्रभावित होता है तो उसका तत्काल इन तरीकों से प्राथमिक उपचार किया जाये रोगी को तुरन्त छायादार जगह पर कपडे ढ़ीलें कर लिटा दें एवं हवा करें। रोगी को होश आने की दशा में उसे ठण्डे पेय पदार्थ, जीवन रक्षक घोल, कच्चे आम का पना आदि दें। प्याज का रस अथवा जोै के आटे को भी ताप नियंत्रण हेतु शरीर पर मला जा सकता है। रोगी के शरीर का ताप कम करने के लिये यदि संभव हो तो उसे ठण्डे पानी से स्नान करायें या उसके शरीर पर ठण्डे पानी की पट्टियाॅं रखकर पूरे शरीर को ढंक दें। इस प्रक्रिया को तब तक दोहरायें जब तक की शरीर का ताप कम नहीं हो जाता है। इस उपचार से यदि मरीज ठीक नहीं होता है तो उसे तत्काल निकटतम चिकित्सालय में भेजा जाना चाहिये। 

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