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Tuesday, 3 August 2021

विश्व स्तनपान सप्ताह के तहत पोस्टर प्रतियोगिता सम्पन्न

 विश्व स्तनपान सप्ताह के तहत पोस्टर प्रतियोगिता सम्पन्न



खण्डवा 3 अगस्त, 2021 - विश्व स्तनपान सप्ताह के तहत नर्सिंग छात्राओं द्वारा पोस्टर एवं स्लोगन प्रतियोगिता आयोजित की गई। प्रतियोगिता में बनाये गये पोस्टर्स का प्रदर्शन 3 अगस्त को मेडिकल कॉलेज सह जिला चिकित्सालय खंडवा के बी-ब्लॉक में किया गया। इस दौरान मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. डी.एस. चौहान, मेडिकल कॉलेज के एच.ओ.डी. शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ. प्रमिला वर्मा, डॉ. निशा पवार, डॉ. भूषण बांडे, डॉ. गरिमा अग्रवाल, डॉ. नन्दनी दीक्षित द्वारा अवलोकन किया गया। इस अवसर पर नर्सिंग स्टॉफ प्रभारी नर्सिंग प्राचार्या श्रीमती दास गुप्ता, छात्राएं एवं महिलायें उपस्थित थी। पोस्टर प्रतियोगिता में प्रथम स्थान मीनल पूरी व रीना धाकड़, द्वितीय स्थान विनिता खातरकर व वर्षा मालाकार तथा तृतीय स्थान तोषिका दुबे व शालिनी मालवीया ने प्राप्त किया। वही स्लोगन प्रतियोगिता में उर्मिला बामने प्रथम स्थान, मोनिका चौधरी द्वितीय स्थान एवं चांदनी गुप्ता तृतीय स्थान पर रही, जिनको डॉ. डी.एस. चौहान द्वारा प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया गया।  

इस प्रतियोगिता के माध्यम से स्तन को बढ़ावा देने पर जोर दिया कि मॉं का दूध बच्चे के लिये अनमोल उपहार है। नवजात षिषु और बच्चे को पर्याप्त सुरक्षा, पोषण तथा स्नेह की आवश्यकता होती है और स्तनपान शिशु की इन सभी आवष्यकताओं को पूरा करता है। आमजन में स्तनपान से संबंधित विभिन्न पहलुओं की जानकारी के लिये प्रति वर्ष अनुसार इस वर्ष भी 1 अगस्त से 7 अगस्त तक स्तनपान सप्ताह मनाया जायेगा। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. डी.एस. चौहान ने बताया कि मॉं का पीला गाढ़ा कोलोस्ट्रम वाला दूध नवजात शिशु के लिये एकदम सटीक आहार है, जन्म के तुरंत बाद एक घण्टे के भीतर स्तनपान शुरू किया जाना चाहिये। उन्होंने बताया कि मॉं के दूध में बच्चे के लिये आवश्यक प्रोटीन, वसा, कैलोरी, लैक्टोज, लौह खनिज, पानी और एंजाईम पर्याप्त मात्रा में होते है। यह बच्चों की रोग प्रतिरोध क्षमता बढ़ाते हैं जो भविष्य में बच्चे को कई तरह के संक्रमण से सुरक्षित करता है। उन्होंने बच्चे के समुचित विकास के लिये स्तनपान की अपील की। छः माह की उम्र तक बच्चे को मात्र स्तनपान ही कराना चाहिये इससे बच्चे की रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता बढ़ती है और बच्चे शारीरीक तथा मानसिक रूप से मजबूत बनते है। इस दौरान शिशु को कोई अन्य उपरी आहार नहीं देना चाहिये। शिशु को स्तनपान न केवल बच्चे के लिये वरन मॉं के लिये भी वरदान होता है। यह प्रसव पूर्व खून बहने और एनीमिया की संभावना को कम करता है तथा यह मॉं को अपनी पुरानी शारीरिक संरचना वापिस प्राप्त करने में सहायता करता है। 

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