’टाइगर स्टेट‘‘ बनने के साथ षेरों के स्वागत को भी तैयार मध्यप्रदेश
खण्डवा 11 दिसम्बर, 2019 - मध्यप्रदेश ने पिछले एक साल में न केवल एक बार फिर देश में टाइगर स्टेट होने का गौरव प्राप्त किया है बल्कि वैश्विक जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के साथ वन-वन्य प्राणी संरक्षण और वनवासियों के उत्थान के सतत प्रयास भी शुरू कर दिये हैं। गुजरात के गिर में बचे हुए एशियाटिक लायन को विलुप्ति से बचाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रदेष के ष्योपुर जिले में स्थित कूनो अभयारण्य में कुछ सिंहों की शिफ्टिंग के लिये भी राज्य सरकार लगातार सक्रिय है। प्रदेश में वनोपज का उत्पादन पिछले वर्ष से अधिक हुआ है।
526 बाघों के साथ म.प्र. फिर देश में प्रथम
अखिल भारतीय बाघ आंकलन के 29 जुलाई 2019 को घोषित परिणाम में 526 बाघ के साथ मध्यप्रदेश पुनरू देश में प्रथम स्थान पर है। वर्ष 2014 में हुई गणना में 306 बाघ आंकलित हुए थे। प्रदेश के तीन टाइगर रिजर्व- पेंच, कान्हा और सतपुड़ा देश में प्रबंधकीय दक्षता में प्रथम तीन स्थान पर हैं। मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड द्वारा पर्यटन स्थलों पर सुविधाओं एवं सेवाओं के लिए सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को मोस्ट टूरिस्ट फ्रेंडली नेशनल पार्क का अवार्ड मिला है। प्रदेश में दूसरी बार 12 जनवरी 2019 में की गई गिद्ध गणना में प्रदेश के 33 जिलों में 7900 गिद्ध पाए गए हैं। टाइगर स्ट्राइक फोर्स ने वन्य-प्राणी अपराध में लिप्त राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय अपराधियों को गिरफ्तार करने में सफलता पाई है।
संग्रहण वर्ष 2019 में तेंदूपत्ता मजदूरी 2000 रूपये से बढ़ाकर 2500 रूपये प्रति मानक बोरा की दर से मजदूरी का नगद भुगतान किया गया। एकलव्य शिक्षा योजना में 4774 विद्यार्थियों को करीब 5 करोड़ की छात्रवृत्ति दी गई। बाह्य स्थलीय संरक्षण योजना में 2182 हेक्टेयर में पौध-रोपण किया गया। क्षमता विकास योजना में 1100 तेन्दूपत्ता संग्राहक परिवार के युवाओं को 225 लाख 50 हजार के व्यय से मोटर ड्राइविंग प्रशिक्षण दिलाया गया। मुख्यमंत्री तेन्दूपत्ता संग्राहक कल्याण सहायता योजना में 483 प्रकरणों में पौने 2 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई।
वन समितियाँ देंगी 7800 गौ-वंश को आश्रय
वन समितियों के माध्यम से प्रदेष में अनाश्रित गायों के लिए 78 गौ-शालाएँ खोली जा रही हैं। प्रति गौशाला 7800 गौ-वंश को आश्रय दिया जाएगा। वन एवं ग्रामीण विकास विभाग के समन्वय से 2 लाख 50 हजार हेक्टेयर के बिगड़े बाँस वनों के सुधार और 50 हजार हेक्टेयर में बाँस के उन्नत वृक्षारोपण की योजना क्रियान्वित की जा रही है। नर्सरी में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करते हुए उन्हें सभी आधारभूत सुविधाएँ उपलब्ध कराई गई हैं। वर्षा ऋतु में 3 करोड़ 34 लाख से ज्यादा पौधों का रोपण किया गया।
वन विकास निगम
वन विकास निगम द्वारा राष्ट्रीय राजमार्गों के 82 किलोमीटर में 96 हजार से ज्यादा पौधों का रोपण किया गया है। हेवल्स इण्डिया के सीएसआर मद से 222 हेक्टेयर वन क्षेत्र में 4 लाख पौधों का रोपण किया गया है। अमरकंटक में रुद्राक्ष और झाबुआ वन मण्डल में शीशम रोपण का कार्य प्रगति पर है। इंदौर की टिश्यू कल्चर प्रयोगशाला में उत्तम गुणवत्ता के बाँस और सागौन पर भी प्रयोग शुरू किया गया है। गैर वन क्षेत्रों में लगभग 40 लाख पौधों का विक्रय किया गया। निगम द्वारा 96 लाख 64 हजार हेक्टेयर में एक करोड़ 73 लाख से ज्यादा पौधे रोपित किये गये। निगम प्रतिवर्ष लगभग 40 लाख मानव दिवस रोजगार उपलब्ध करा रहा है।
जैव विविधता बोर्ड
जैव विविधता बोर्ड द्वारा जैव विविधता संरक्षण के क्षेत्र में मण्डला, बैतूल, छिन्दवाड़ा के लगभग 500 किसानों, समिति सदस्यों और संग्राहकों को अकाष्ठीय वनोपज की विनाश विहीन सतत पद्धति का प्रशिक्षण दिया गया। जन-भागीदारी से 1 करोड़ 10 लाख सीडबॉल का निर्माण किया गया। रोपणियों में दुर्लभ प्रजाति के 70 लाख पौधे तैयार किये गये। इस वर्ष 60 हजार क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट तैयार किया गया। जीवामृत एवं नीम खली का उत्पादन भी रोपणियों में किया जा रहा है। ग्रीन इण्डिया मिशन में मशरूम खेती, महिलाओं को सिलाई, सेनेटरी पेड निर्माण, बॉयोगैस डायजेस्टर, अगरबत्ती निर्माण, कम्प्यूटर, ड्रायविंग, बिजली मरम्मत आदि रोजगारमूलक प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
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