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Saturday 28 December 2019

नवकरणीय ऊर्जा उत्पादन में आगे बढ़ता मध्यप्रदेश

उम्मीदें रंग लाईं, तरक्की मुस्कुराई

नवकरणीय ऊर्जा उत्पादन में आगे बढ़ता मध्यप्रदेश

खण्डवा 28 दिसम्बर, 2019 - मध्यप्रदेश में पारम्परिक ऊर्जा उत्पादन के साथ ही नवकरणीय ऊर्जा के वैकल्पिक स्त्रोतों से ऊर्जा उत्पादन के प्रयासों को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है। इस क्षेत्र में नित नये नवाचार भी किये जा रहे हैं। बीते एक वर्ष में प्रदेश में ग्रिड कनेक्टेड और ऑफ ग्रिड परियोजनाओं ने आकार लिया है। इस समय प्रदेश में सौर, पवन, बायोमास, लघु जल विद्युत परियोजनाओं से कुल 668.64 मेगावाट विद्युत उत्पादन किया जा रहा है। प्रदेश में तीन नए सोलर पार्क भी विकसित किए जा रहे हैं। नवकरणीय ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में देश में मिसाल कायम करने की दिशा में मध्यप्रदेश निरंतर आगे बढ़ रहा है।
      प्रदेश की बंजर भूमि पर नवकरणीय ऊर्जा प्लांट लगाने की योजना शुरू की गई है। रीवा और मंदसौर परियोजना स्थल भी पूर्व में बंजर भूमि के कारण जाने जाते थे। आगर, शाजापुर, नीमच सोलर पार्क के लिए भी बंजर भूमि का ही चयन किया गया है। रेस्को निविदाओं में छोटे निवेशकों को हिस्सेदारी के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। नवम्बर 2018 तक प्रदेश में सौर ऊर्जा से 1537 मेगावाट बिजली मिल रही थी, जो इस साल बढ़कर करीब 2200 मेगावाट हो गई है। बायोमास ऊर्जा उत्पादन में भी 92.55 मेगावाट को बढ़ाकर 116.35 मेगावाट करने में सफलता मिली है। नवम्बर-2018 तक 14 हजार सोलर पम्प थे, पिछले एक साल में ये बढ़कर 18 हजार हो गए हैं। आने वाले समय में मध्यप्रदेश में ढ़ाई हजार मेगावाट नवकरणीय ऊर्जा उत्पादन होने लगेगा। नए सोलर पार्कों से 1750 मेगावाट और इंदिरा सागर तथा ओंकारेश्वर जलाशय से एक हजार मेगावाट बिजली फ्लोटिंग सौर संयंत्र से प्राप्त हो सकेगी।
         सोलर रूफ टॉप संयंत्रों से नवम्बर, 2018 तक अर्जित की जा रही 15 हजार 548 किलोवाट क्षमता को एक वर्ष में 24 हजार किलोवाट तक पहुँचा दिया गया है। एलईडी बल्ब, ट्यूब-लाईट्स के साथ ही 5 स्टार रेटेड पंखों का चलन भी बढ़ गया है। प्रमुख रूप से पुलिस मुख्यालय, दूर संचार कार्यालयों, चिकित्सा महाविद्यालयों और राज्य सरकार के कई विभागों तथा निगम-मंडलों के कार्यालयों में सौर ऊर्जा का उपयोग शुरू हो गया है।
रीवा परियोजना से प्राप्त बिजली में प्रदेश की कुल बिजली खपत का करीब छठवां हिस्सा मिलने से ताप विद्युत संयंत्रों के दबाव को कम करने में मदद मिली है। रीवा सोलर पार्क से दिल्ली मेट्रो रेल कार्पोरेशन और मध्यप्रदेश पावर मैनेजमेंट कम्पनी लिमिटेड को बिजली दी जा रही है। परियोजना से अद्यतन 730 मेगावाट क्षमता कमीशन हो चुकी हैं और बाकी 20 मेगावाट दिसम्बर माह के अंत तक कमीशन किया जाना है। मंदसौर सोलर पार्क से 250 मेगावाट की कुल क्षमता कमीशन की जा चुकी है और निरंतर विद्युत उत्पादन हो रहा है। नीमच में 500 मेगावाट क्षमता के सोलर पार्क के लिए राजस्व भूमि आवंटित की जा चुकी है। पार्क से इंडियन रेलवे एवं प्रदेश की पावर मैनेजमेंट कम्पनी को बिजली दी जाएगी। आगर जिले की आगर और सुसनेर तहसील में कुल 1271 हेक्टेयर राजस्व भूमि सोलर पार्क के लिये आवंटित की गई है। इस 550 मेगावाट क्षमता के सोलर पार्क से मध्यप्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी को बिजली दी जाएगी।
        भोपाल की बड़ी झील के पास स्थित ब्रिज एवं रिटेनिंग वॉल पर 500 किलोवाट क्षमता के सौर संयंत्र की स्थापना की गई है। इस संयंत्र से पास के कर्बला स्थित पम्प हाउस की दिवस कालीन ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति हो सकेगी। इससे प्रति वर्ष 40 लाख रूपये की बचत के साथ 10 हजार वृक्षों के बराबर पर्यावरण सुधार की स्थिति निर्मित होगी। स्मार्ट सिटी उज्जैन स्थित वाटर ट्रीटमेंट प्लॉट में 1200 किलोवाट क्षमता के सौर संयंत्रों की स्थापना की जा रही है। इससे प्रतिवर्ष लगभग 94 लाख रूपये की विद्युत की बचत के साथ ही 24 हजार वृक्षों के बराबर पर्यावरण सुधार की स्थिति निर्मित होगी। भोपाल के समीप औद्योगिक और व्यवसायिक क्षेत्र की इकाइयों में औद्योगिक विकास निगम की साझेदारी में रेस्को( रिन्यूएबल एनर्जी सर्विस कम्पनी) मॉडल आधारित संयंत्र की स्थापनाओं और सौर विद्युत के विक्रय की योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इस योजना में सौर विद्युत के विक्रय के लिये अनुबंध किया जाएगा। इस अनुबंध पर क्रेता इकाई, विक्रेता इकाई, औद्योगिक विकास निगम एवं ऊर्जा विकास निगम द्वारा हस्ताक्षर किए जायेंगे। इससे रेस्को इकाइयों को प्रतिस्पर्धात्मक दरें प्रस्तावित करने में आसानी होगी।
       रेस्को निविदाओं में किये गये नवाचारों के फलस्वरूप शासकीय क्षेत्र के लिये न्यूनतम विद्युत टैरिफ 1.38 रूपये प्रति यूनिट प्राप्त हुई है जबकि औद्योगिक क्षेत्रों के लिये 4.61 रूपये की दर प्राप्त हुई है। उल्लेखनीय है कि शासकीय क्षेत्रों के लिये 45 प्रतिशत तक की शासकीय वित्तीय सहायता उपलब्ध थी जबकि औद्योगिक क्षेत्रों के लिये किसी अनुदान का प्रावधान नहीं था। रेस्को परियोजना में लगभग 30 मेगावाट क्षमता के सौर संयंत्रों की स्थापना की जा रही है। सोलर पम्प उपभोक्ताओं की शिकायतों के निराकरण के लिए कॉल सेन्टर भी स्थापित किए जा रहे हैं।

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