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Wednesday 7 January 2015

कर्मवीर विद्यापीठ में ‘‘प्राचीन भारतीय वास्तुषिल्प व संचार‘‘ विषय पर व्याख्यान का आयोजन

कर्मवीर विद्यापीठ में ‘‘प्राचीन भारतीय वास्तुषिल्प व संचार‘‘ विषय पर व्याख्यान का आयोजन 





खण्डवा (7जनवरी,2015) - माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विष्वविद्यालय के विस्तार परिसर कर्मवीर विद्यापीठ खंडवा मेें बुधवार को  ‘‘प्राचीन भारतीय वास्तुषिल्प व संचार‘‘ विषय पर व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में अतिथि का स्वागत व उनका संक्षिप्त परिचय राजेन्द्र परसाई ने किया । व्याख्यान माला में विषय विषेषज्ञ भोपाल के वरिष्ठ आर्किटेक्चर अमोघ गुप्ता ने प्राचाीन भारतीय वास्तुषिल्प से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि प्राचीन भारतीय वास्तुकला हमे सनातन काल से संचारित कर रहा है। प्राचीन काल से वेद, उपनिषद व शास्त्र वास्तुकला के प्राचाीन स्त्रोत रहे है। उन्होंने बताया कि प्राचीन काल से ही मोहनजोदड़ों की सभ्यता के अवषेष प्राचीय नगरीय प्रणाली से हमें परिचित कराते है। प्राचीन गुफाओं में उकेरे गए चित्र प्राचीन वास्तुकला व संचार का अद्भुत संगम को संप्रेषित करता है। प्राचीन वास्तुकला के बारे में राजतरंगणी, विष्णुपुराण व उपनिषदों में विस्तृत से वर्णन किया गया है। जो वास्तुकला को सदियो से संप्रेषित करता है। प्राचीन भोज संहिता में 2000 श्लोक में वास्तुकला के बाररे में ही लिखी गई । प्राचाीन काल से ही भारत मेें वास्तुकला में कई अंतर प्रतिबिंबित होता है। उन्होंने बताया कि हमारी वास्तुकला के साथ भवन निर्माण की प्रक्रिया हमारी जीवनषैली व समाजिक परिवेष, तकनीकी ज्ञान के साथ ही उपलब्ध सामग्री की महत्ता महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि आधुनिक वास्तुकला में रुढ़िवादिता को छोड़ हमें वैज्ञानिक कारणों पर हमें ध्यान देना होगा। वास्तुकला कारण नहीं हो सकता अपितु केवल उत्प्रेरक की भूमिका में ही होता है। 
  इस अवसर पर षिक्षक प्रीतेष अग्निहोत्री, अभिषेक तिवारी, कमल उपाध्याय, श्रद्वा खरे, श्वेता चौधरी व ग्रंथपाल ओ.पी चौरे सहित सभी  छात्र -छात्राएं उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन षिक्षक षिवेन्द्र मिश्रा ने किया ।
क्रमांक/38/2015/38/वर्मा

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