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Thursday, 12 December 2019

उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण से सुनिश्चित हुई किसानों की खुशहाली

आलेख
उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण से सुनिश्चित हुई किसानों की खुशहाली
खण्डवा 12 दिसम्बर,, 2019 -  मध्यप्रदेश में बीता साल किसानों और बेरोजगार नौजवानों के लिये नया सवेरा लेकर आया है। राज्य सरकार ने कृषि के साथ उद्यानिकी और खाद्य प्र-संस्करण के क्षेत्र में किसानों और नौजवानों को प्राथमिकता देते हुए उनके लिये आर्थिक मदद के रास्ते भी खोल दिए हैं। ये दोनों क्षेत्र किसानों और नौजवानों के लिये अतिरिक्त आय का सशक्त माध्यम बन गए हैं। प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद सबसे बड़ी चुनौती थी किसान को समृद्ध बनाने और नौजवान को रोजगार देने की। सरकार ने उद्यानिकी में सब्जी एवं मसाला क्षेत्र विस्तार योजना में अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के किसानों की अनुदान राशि को 50 से बढ़ाकर 70 प्रतिशत कर दिया है। इससे अब किसानों को प्रति हेक्टेयर 70 हजार रूपये तक अनुदान मिल रहा है। अनुदान में बीज के साथ प्लास्टिक क्रेट और बेल वाली सब्जियों फसलों के मंडप बनाने की सामग्री पर भी अनुदान मिल रहा है। इससे किसानों को उद्यानिकी उत्पादों को खेत से मंडी तक ले जाने में होने वाले फसल नुकसान में 20 से 25 प्रतिशत कमी हुई है। फसल उत्पादों की गुणवत्ता अच्छी रहने से मंडी में अधिक मूल्य भी मिलने लगा है। किसानों की मांग पर सरकार ने अब बेल वाली फसलों की मंडप निर्माण सामग्री पर 7 से 12 हजार रूपये प्रति हेक्टेयर की दर से दो हैक्टेयर तक खेती करने पर अनुदान देने का निर्णय लिया है। इससे बेल वाली सब्जियों की फसलें मण्डप पर लगाने से फसल के उत्पादन का समय बढ़कर 6 से 7 माह होगा। साथ ही उत्पादन की गुणवत्ता बहुत अच्छी होने से बाजार में रेट भी 20 से 25 प्रतिशत अधिक प्राप्त होंगे। इस तरह करेला, गिलकी, लौकी आदि की फसलों से किसानों को प्रति हैक्टेयर 2 से 3 लाख रूपये की आय होगी।
मुख्यमंत्री खाद्य प्र-संस्करण योजना लागू
प्रदेश में इस वर्ष से मुख्यमंत्री खाद्य प्रसंस्करण योजना लागू की गई है। योजना में उद्योग विभाग की तर्ज पर शासकीय भूमिध्राजस्व भूमि को शिक्षित बेरोजगार युवाओं को एक से ढाई एकड़ भूमि प्रति हितग्राही तीस साल के लिये लीज पर उपलब्ध कराई जायेगी। योजना में 100-100 एकड़ के क्लस्टर बनाकर फूलों की खेती को बढ़ावा दिया जायेगा। किसानों के लिये तकनीकी मार्गदर्शन और बाजार व्यवस्था क्लस्टर स्थल पर ही उपलब्ध करवाई जायेगी। फूलों के दाम भी अच्छे प्राप्त होंगे। छिन्दवाड़ा में 100 एकड़ में आर्किड फूलों की संरक्षित खेती का क्लस्टर तैयार किया जा रहा है। इससे हितग्राहियों को प्रति एकड़ 10 से 15 लाख रूपये तक आय प्राप्त होगी।
दो नवीन उद्यानिकी महाविद्यालय रेहली और छिन्दवाड़ा में खोले गये
प्रदेश में दो नवीन उद्यानिकी महाविद्यालय रेहली और छिन्दवाड़ा में खोले गये हैं। साथ ही इन्डो-इजराइल प्रोजेक्ट के तहत उद्यानिकी क्षेत्र में तीन सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस, छिन्दवाड़ा में सिट्रस, मुरैना में वेजीटेबिल और भोपाल में फ्लोरीकल्चर के, स्थापित किये जा रहे हैं। प्रदेश सरकार ने विगत एक वर्ष में नवाचारों से किसानों और नौजवानों की तरक्की की राह आसान कर दी है। अब यहाँ का युवा वर्ग उच्च गुणवत्ता के आर्गेनिक खाद्य उत्पादों का निर्यात भी करेगा। 

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