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Thursday, 19 December 2019

ग्रामीण अंचलों में ‘‘हर घर नल से जल‘‘ योजना का प्रभावी क्रियान्वयन

उम्मीदें रंग लाईं, तरक्की मुस्कुराई

ग्रामीण अंचलों में ‘‘हर घर नल से जल‘‘ योजना का प्रभावी क्रियान्वयन

खण्डवा 19 दिसम्बर, 2019 - प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों की लगभग 98 फीसदी पेयजल व्यवस्था भू-जल स्त्रोतों पर आधारित है। विगत कई वर्ष से भू-जल स्तर में हो रही निरंतर गिरावट को देखते हुए राज्य सरकार ने ग्रामीण पेयजल समस्या के स्थायी समाधान के लिए पिछले एक साल में सतही जल स्त्रोतों पर आधारित समूह जल प्रदाय योजनाओं को प्राथमिकता दी है। प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में श्हर घर नल से जलश्श् योजना लागू कर दी गई है। अब ग्रामीण माता-बहनों को पानी के लिये नदी, तालाब, कुआँ, बावड़ी के चक्कर लगाने से मुक्ति मिल गई है।
नई पेयजल नीति में छोटे और दूरदराज के गाँवों को प्राथमिकता दी गयी है। इन गाँवों में नल-जल योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए नीति को सरल बनाया गया है। जिन बसाहटों में गर्मी के मौसम में 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन के मान से पेयजल उपलब्ध नहीं हो पाता है, उनमें नये हैण्डपम्प लगाए जायेंगे। पहले किसी भी बसाहट के 500 मीटर के दायरे में न्यूनतम एक शासकीय पेयजल स्त्रोत उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जगह नई पेयजल नीति में न्यूनतम 300 मीटर के दायरे में कम से कम एक शासकीय पेयजल स्त्रोत उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया है। हैण्डपम्प स्थापना में ग्रामों के चयन में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति बहुल ग्रामों को प्राथमिकता दी जा रही है। अब गर्मी के मौसम में पेयजल की समस्या से त्रस्त रहने वाले बड़े गाँवों के साथ छोटे गाँव भी नल-जल योजना के क्रियान्वयन से लाभान्वित हो सकेंगे।
मध्यप्रदेश ‘‘राइट टू वाटर‘‘ एक्ट बनाने वाला पहला प्रदेश
       राज्य सरकार ने विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में ‘‘राइट-टू-वाटर‘‘ एक्ट का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। विधानसभा के आगामी बजट सत्र में यह एक्ट पारित करवाकर लागू कर दिया जाएगा। इस एक्ट के लागू होने पर मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य होगा, जहाँ लोगों को पानी का कानूनी अधिकार मिलेगा। इस कानून को लागू करने के लिये बजट में एक हजार करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। यह एक्ट सरकारी कानून न होकर ‘‘जनता का कानून‘‘ होगा। इसमें जन भागीदारी सुनिश्चित करते हुए जल- संरक्षण एवं संवर्धन के कार्यों को बड़े अभियान के रूप में क्रियान्वित किया जायेगा। इस कानून से प्रदेश के सभी जल-स्त्रोतों, नदियों, तालाबों और परम्परागत जल-स्त्रोतों कुएँ-बावड़ी आदि को संरक्षित कर स्थायित्व दिया जायेगा। राज्य सरकार ने प्रत्येक परिवार को उसकी आवश्यकता के अनुरूप जल उपलब्ध करवाने से निश्चय का ही परिणाम है पानी का कानूनी अधिकार।
ग्रामीणों को पेयजल उपलब्ध कराने हुए स्थायी कार्य
     पिछले एक साल में ग्रामीण अंचल में पर्याप्त पेयजल व्यवस्था सुनिश्चित करने के सघन प्रयास किए गए हैं। इतने कम समय में ग्रामीण अंचल में 6 हजार से ज्यादा हैण्डपम्प स्थापित किये गए, 600 से अधिक नवीन नल-जल योजनाओं के कार्य पूरे कर पेयजल प्रदाय प्रारंभ कराया गया और 6700 से अधिक सिंगल फेस मोटर पम्प स्थापित किये गये हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में बंद पड़े 3 लाख 12 हजार हैण्डपम्पों को सुधार कर चालू करवाया गया। साथ ही, साढ़े तीन लाख मीटर राइजर पाइप बढ़ाकर अथवा आवश्यकतानुसार बदलकर 65 हजार हैण्डपम्पों को चालू स्थिति में लाया गया है।
बेहतर प्लानिंग के लिये आईआईटी से अनुबंध
      पेयजल प्रदाय योजनाओं की बेहतर प्लानिंग के लिये आईआईटी दिल्ली से अनुबंध किया गया है। पेयजल उपलब्धता लिये न्यू डेवलपमेंट बैंक से 4500 करोड़ की योजनाओं की वित्तीय सहायता प्राप्त हो गई है। जायका से नीमच तथा मंदसौर जिले के सभी गॉंव और रतलाम जिले के आलोट विकासखण्ड के 1735 गाँवों में समूह पेयजल योजना के लिये वित्तीय सहायता प्राप्ति की प्रक्रिया अंतिम चरण में है।
संविदा कर्मचारियों के हितार्थ लिए गए निर्णय
      प्रदेश में जल सहायता संगठन के अंतर्गत वर्ष 2013 से कार्यरत 500 से ज्यादा संविदा कर्मचारियों और उनके परिवार का भविष्य सुरक्षित कराने के उददेश्य से राष्ट्रीय पेंशन योजना (एन.पी.एस) में खाते खुलवाए जा रहे हैं। इसमें 10 प्रतिशत अंशदान संविदा कर्मचारी देंगे और 10 प्रतिशत विभाग द्वारा दिया जाएगा।

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