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Thursday 9 April 2015

कृषि विज्ञान केन्द्र सलाहकार समिति की बैठक सम्पन्न

कृषि विज्ञान केन्द्र सलाहकार समिति की बैठक सम्पन्न प्रकृति अनुकूल कृषि आज की आवष्यकता - डॉ. यू.पी.एस. भदौरिया


खण्डवा (09अप्रैल,2015) - कृषि विज्ञान केन्द्र की सलाहकार समिति की खरीफ मौसम की बैठक सम्पन्न हुई। बैठक की अध्यक्षता भगवंतराव मण्डलोई कृषि महाविद्यालय की अधिष्ठाता डा. मृदुला बिल्लौरे ने की। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजामाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर के संयुक्त संचालक विस्तार डॉ. यू.पी.एस. भदौरिया थे । इस बैठक में नाबार्ड के जिला विकास प्रबन्धक एम.वी.पाटील, उप संचालक आत्मा एस.एस.राजपूत , बीज प्रमाणीकरण अधिकारी प्रणय व्यास, उद्यानिकी विभाग के जे. एल. जैन, कृृषको के ए.के.गुप्ता, सहायक संचालक कृृषि राजेन्द्र चौहान, महिला एवं बाल विकास विभाग, मत्स्य विभाग, बीज निगम के , अग्रणी बैंक योगेन्द्र चौहान, प्रगतिषील कृृषक राजेन्द्र प्रजापति, गोविन्द पगारे, श्रीकान्त गोखले, भगवान पटेल एवं महिला उद्यमी, रजनी बंसल, के साथ कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों ने भाग लिया।   
इस अवसर पर कार्यक्रम समन्वयक डॉ. डी. के. वाणी ने पिछले वर्ष खरीफ मौसम में की गई गतिविधियों का विवरण प्रस्तुत किया। इसके पष्चात कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों सर्वश्री वाय.के. षुक्ला ने मृदा विज्ञान, रूपेष जैन ने पषुपालन, विनोद राजपूत ने उद्यानिकी, सुभाष रावत ने कृृषि विस्तार, एम.के.गुप्ता ने कृृषि अर्थ एवं रष्मि षुक्ला ने कृृषि में महिलाओं विषय पर अपनी कार्य योजना प्रस्तुत की।
अधिष्ठाता डॉ. मृदुला बिल्लौरे ने पिछले वर्ष मिर्च में आई समस्याओं जैसे वायरस एवं लीफकर्ल से निपटने हेतु कार्ययोजना बनाकर अभी से प्रषिक्षणों की षुरूआत करने को कहा। डॉ. बिल्लौरे ने प्रतिकूल परिस्थितियों में सोयबीन की उत्पाकता बढाने को एक चुनौती के रूप में लेकर कार्य करने को कहा। उन्होने  फसलों व प्रजातियों की विविधता एवं सुरक्षात्मक उपायो को अपनाने पर बल दिया। 
संयुक्त संचालक विस्तार डॉ. यू.पी.एस. भदौरिया ने वर्षा जल को संरक्षित करने एवं  जल की उत्पादकता बढाने से संबंधित विषयों को कार्ययोजना में षामिल करने को कहा। डॉ. भदौरिया ने जैविक खाद के उत्पादन एवं उपयोग को भरपूर बढावा देने का सुझाव देते हुए कहा कि अब मौसम एवं प्रकृति अनुकूल कृषि की आवष्यकता है।
उप संचालक आत्मा एस.एस.राजपूत ने अपने उद््बोधन में जैविक खेती पर प्रदर्षन और परीक्षण करने का सुझाव देते हुए एस.आर.आई पद्धति की सफलता का ब्यौरा दिया। उद्यानिकी विभाग के जे.एल.जैन ने ड्रिप पद्धति व संरक्षित कृृषि को प्रषिक्षणों के माध्यम से बढावा देने का सुझाव दिया। बीज प्रमाणीकरण अधिकारी प्रणय व्यास ने सोयाबीन की उन्न्त जातियों के बारे में बतलाते हुए कम लागत तकनीक के व्यापक प्रसार पर जोर दिया। साथ ही कृषक आषिष बरोले ने मेढ़नाली पद्धति एवं रोटावेटर उपयोग के अनुभवों को लाभकारी बताया। कृषक राजेन्द्र प्रजापति ने डेरी के विकास की बात कही जबकि श्री गोखले ने अधिक तेल वाली कपास व सोयाबीन किस्मों को उपलब्ध कराने का सुझाव दिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. मुकेश गुप्ता एवं प्रवीण ढास्के ने किया। 
    क्रमांक/23/2015/441/

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