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Thursday 30 April 2015

मनरेगा की रेशम उपयोजना से बदला खेती के प्रति किसानों का नजरिया

मनरेगा की रेशम उपयोजना से बदला खेती के प्रति किसानों का नजरिया
सामान्य खेती से दोगुना लाभ कमा रहे है रेशम का उत्पादन
करने वाले कृषक



खण्डवा (30अप्रैल,2015) - ग्रामीण क्षेत्रो में रोजगार का सृजन करना एक महत्वपूर्ण कार्य है और यदि यह रोजगार कृषि आधारित हो तो यह ग्रामीणो के जीवन में अभूतपूर्व परिवर्तन ला सकता है। खेती को लाभ का धंधा बनाने के स्वप्न में महात्मा गांधी नरेगा की रेशम उपयोजना खण्डवा जिले में कारगर साबित हो रही है। इस उपयोजना के माध्यम से कृषि को उद्योग के रूप में परिवर्तित कर कृषको के जीवन में सुखद परिवर्तन लाने की पहल की गई है। 
जिले में वर्ष 2012-13 के पूर्व रेशम के ककून का उत्पादन न के बराबर होता था। जो वर्ष 2014-15 में 133800 कि.ग्रा. तक पहुॅंच गया है। जिले में वर्ष 2013-14 में प्रायोगिक रूप से रेशम उत्पादन की प्रक्रिया का प्रारम्भ किया गया। जिसमें मनरेगा अंतर्गत जिले की पंधाना जनपद पंचायत के 37 कृषको व पुनासा जनपद पंचायत के 14 कृषको को रेशम उपयोजना का लाभ दिया गया। इस तरह वर्ष 2013-14 में 51 कृषको द्वारा 40,000 अण्डो का क्रमी पालन किया जाकर 60 लाख रू. की राशि का  24000 कि.गा्र. रेशम के ककून का उत्पादन किया गया। इसी प्रकार वर्ष 2014-15 में पंधाना जनपद के 83, पुनासा जनपद के 39, खालवा जनपद के 23 व बलडी जनपद के 18 कृषको को रेशम उपयोजना का लाभ दिया गया है। इस प्रकार वर्ष 2014-15 में कुल 163 हितग्राहियो को रेशम उपयोजना का लाभ दिया गया है। इन हितग्राहियो द्वारा 1,63,000 रेशम के अण्डो का क्रमी पालन करके 2 करोड़ 44 लाख रू की राशि के लागत के 97800 कि.ग्रा. रेशम के ककून का उत्पादन किया जावेगा। कृषको से यह रेशम मध्य प्रदेश सिल्क फेडरेशन द्वारा स्थल पर ही क्रय किया जावेगा। 
मनरेगा योजना एवं रेशम के केन्द्र के मध्य अभिशरण के माध्यम से रेशम उपयोजना का लाभ लेने वाले हितग्राही की 1 एकड़ भुमी पर रेशम विकास केन्द्र द्वारा 128500 रू की लागत से रेशम उत्पादन गृह, सिचाई सुविधा, रेशम उत्पादन हेतु स्टेण्ड प्रदाय किये गये है एवं मनरेगा योजना अंतर्गत 187155 रू की लागत से सहतुत के पौधो के रोपण का लाभ दिया गया है। 
वर्ष 2015-16 में जिले के 214 कृषको द्वारा कुल 1,33,800 कि.ग्रा. ककून का उत्पादन किया जावेगा जिसकी बिक्री से उन्हे 335 लाख रू का लाभ होगा इस प्रकार प्रत्येक कृषक 157000 रू के ककून का विक्रय करेगा ककून के रखरखाव क्रमी पालन व मजदूरी पर कृषक को लगभग 50 हजार रू का व्यय होगा एवं उसको 1 लाख रू. की बचत ककून के विक्रय से होगी जो कि कृषक द्वारा उसकी 1 एकड़ भूमी से अर्जित की जावेगी। यदि इसी 1 एकड़ भूमी पर कृषक सिचांई सुविधा होने पर सभी मौसमो की फसल लेता तब भी उसे मात्र 40 से 50 हजार रू. का ही लाभ अर्जित होता। 
क्रमांक/42/2015/460/काषिव

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