अपनी आय बढ़ाने के लिए किसान , व्यावसायिक दृष्टिकोण से करें पषुपालन - कलेक्टर श्री सिंह
खण्डवा 16 नवम्बर, 2017 - पषुपालन एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें घाटे की संभावनाएं बहुत कम रहती है। यदि पषुपालन का व्यवसाय शासन से अनुदान प्राप्त करने के स्थान पर, व्यावसायिक दृष्टिकोण से किया जाये तो यह एक सफल व्यवसाय सिद्ध हो सकता है। यह बात कलेक्टर श्री अभिषेक सिंह ने गुरूवार को कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में जिले के किसानों एवं पषुपालकों की बैठक में संबोधित करते हुए कही। कलेक्टर श्री सिंह ने इस अवसर पर जिले के बड़े पषुपालकों के अनुभव भी सुने तथा पषुपालकों को आष्वस्त किया कि पषुपालन व्यवसाय के लिए उन्हें हर संभव मदद जिला प्रषासन स्तर से हमेषा दिलाई जायेगी। बैठक में पुलिस अधीक्षक श्री नवनीत भसीन, उपसंचालक पषुपालन डॉ. जितेन्द्र कुल्हारे, एसडीएम श्री शाष्वत शर्मा व लीड बैंक अधिकारी , दुग्ध संघ के प्रबंधक तथा नाबार्ड के प्रबंधक भी मौजूद थे।
कलेक्टर श्री सिंह ने बैठक में कहा कि यदि पषुपालन को शासन की किसी योजना से अनुदान प्राप्त करने के उद्देष्य से किया जाता है तो यह व्यवसाय उतना सफल नहीं हो पाता। उन्होंने कहा कि यदि लाभ कमाने के व्यवसाय के रूप मंे पषुपालन किया जाये तो उन्नत नस्ल के पषु अधिक संख्या में पालना जरूरी है। इन पषुओं को अच्छा पोषण आहार देना तथा समय पर उनका टीकाकरण, उपचार व पषुओं के लिए शेड की सही व्यवस्था की जाये तथा पषुओं का बीमा समय पर कराया जाये तो दुग्ध उत्पादन बहुत अधिक होता है और पषुपालन का धंधा काफी लाभदायक सिद्ध होता है।
कलेक्टर श्री सिंह ने कहा कि जिले का दुग्ध उत्पादन 20 हजार लीटर प्रतिदिन से दुगुना कर 40 हजार लीटर प्रतिदिन करने के लिए जरूरी है कि बड़े व सम्पन्न किसान खेती के साथ साथ पषुपालन के व्यवसाय में शामिल हो। उन्होंने कहा कि पहले चरण में इसके लिए बैंकों से आवष्यक ऋण तथा पषुपालन विभाग से पषुपालन का प्रषिक्षण व उपचार की व्यवस्था अच्छी तरह से की जायेगी। उन्हांेने कहा कि पषुपालकांे के दुग्ध उत्पादन को उचित मूल्य पर खरीदने के लिए दुग्ध संघ व्यवस्था करेगा। पषुपालकों की समस्या के निराकरण के लिए जिला व विकासखण्ड स्तर पर एक कॉल सेंटर स्थापित किया जायेगा, जिसमें पषुपालकों की समस्याएं सुनी जायेगी एवं उन्हें आवष्यक मार्गदर्षन दिया जायेगा। कलेक्टर श्री सिंह ने कहा कि जिले के पषुपालकों का एक संघ भी गठित किया जाये। द्वितीय चरण में पषुओं के गोबर का उपयोग कर गोबर गैस संयंत्र स्थापित करने मंे उन्हें मदद दी जायेगी ताकि वे दुग्ध उत्पादन के साथ साथ गोबर गैस का प्रयोग ईंधन व विद्युत उत्पादन में कर सके। इसके बाद तृतीय चरण में पषुपालकों को गोबर से जैविक खाद तैयार करने का प्रषिक्षण दिलाकर उनके इस खाद को बाजार में बेचने के लिए भी जिला प्रषासन मदद करेगा ताकि उन्हें अतिरिक्त आय प्राप्त हो सके।
बैठक में ग्राम टिगरिया के किसान व पषुपालक जगन्नाथ यादव तथा ग्राम सोनखेड़ी के रमाषंकर पटेल ने भी अपने-अपने अनुभव साझा किये तथा उपस्थित किसानों को समझाया कि पषुपालन को यदि सही ढंग से व्यावसायिक दृष्टिकोण से किया जाये तो इस धंधे से काफी लाभ प्राप्त हो सकता है।
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