कपास उत्पादक किसान भाईयों के लिए उपयोगी सलाह
खण्डवा 1 अक्टूबर, 2021 - आजकल संपूर्ण मध्यप्रदेश के कपास उत्पादक क्षेत्रों में फसल फलन पर है और इसमें गुलाबी डेन्डू छेदक कीट का प्रकोप आरम्भ हो गया है। अतः इस कीट पर अभी से सतर्कता जरुरी है यह बात स्थानीय कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. यू.पी.एस. भदौरिया ने कहीं। उन्होंने कहा कि इस कीट के प्रभावी प्रबन्धन हेतु भारत शासन के कृषि मंत्रालय द्वारा एक परियोजना विगत तीन वर्षो के कार्यरत् है जिसका कार्य केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक श्री सतीश परसाई के नेतृत्व में चल रहा है। श्री परसाई ने बताया कि विगत दो वर्षो में प्रदेश में इस कीट की कपास में सर्वाधिक हानि देखी गई। विगत वर्षो में प्रदेश के कपास उत्पादक जिलों में किए गए सघन सर्वेक्षण के अनुसार इस कीट द्वारा 25 से 95 प्रतिशत (औसत 55 प्रतिशत) हानि देखी गई। राष्ट्रीय स्तर पर यह सर्वाधिक थी। उन्होनें बताया कि इस समय गुलाबी डेन्डू छेदक का प्रकोप आरम्भ ही हुआ है और कृषक इसके लिए तीव्र विषैले व महँगे कीटनाशकों का उपयोग कर रहे है जो कतिपय गलत है।
वरिष्ठ वैज्ञानिक श्री सतीश परसाई ने कहा कि अभी फसल पर इतना प्रकोप नही है कि कृषक को कीटनाशक का उपयोग करना पड़े। वह इस समय प्रति एकड़ चार फीरोमोन प्रपंच ही खेतों में स्थापित करें। अपने कपास के क्षेत्र के अनुसार इनकी संख्या सुनिश्चित करें। प्रतिदिन सुबह इनमें आयी हुई नर पंखियों की संख्या रिकार्ड करें। इस प्रकार खेत में जितने भी प्रपंच लगे है उनमें आने वाली पंखियों की संख्या एक रजिस्टर में नोट करें। जब फीरोमोन प्रपंच में लगातार तीन दिनों तक औसतन आठ या अधिक नर पंखियाँ आवे तब खेत से कम से कम बीस हरे घेटों में कीट की उपस्थिति देखें। यदि इनमें से दो या दस प्रतिशत या अधिक घेटे प्रकोपित है तब कीटनाशक का उपयोग आरम्भ करें। शुरुआती में केवल कम विषैले एवं कम कीमत के कीटनाशकों जैसे थायोडिकार्ब या प्रोफेनोफास या क्लोपायरीफास या क्यूनालफास जैसे कीटनाशकों का उपयोग करें। नवंबर माह में जब कीट का अधिकतम प्रकोप हो और अधिकतम घेटे लगे हो तब तेज विषैले एवं महंगे कीटनाशकों जैसे इमामेक्टिन बेन्जोटस या स्पाइनोसेड या इन्डाकार्ब या क्लोनोद्रीपाल या लेम्डासायहेलोथ्रिन का उपयोग करें। खेत में टी आकार की खूँटिया लगावें। कीटनाशकों को सदैव अनुशंषित मात्रा में ही उपयोग करें। कीटनाशकों के अनावश्यक मिलान से बचें। एक ही कीटनाशक का लगातार उपयोग न करें। गुलाबी डेन्डू छेदक की परियोजना अंतर्गत डॉ. ऋषिकेश मंडलोई एवं श्री पंकज सेन जिले के विभिन्न गांव का भ्रमण कर कृषकों को फसल में इस कीट एवं अन्य कीटो के प्रबंधन के संबध में सलाह दे रहे है।
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