गोद लेना व देना एक वैधानिक प्रक्रिया है, जिसका पालन किया जाना अनिवार्य
पालन नहीं किए जाने पर होगी कार्यवाही
खण्डवा 19 जुलाई, 2021 - ऐसा देखा गया है कि कई गैर सरकारी संगठन उन बच्चों के बारे में विज्ञापन कर रहे हैं जो अनाथ हो गए हैं अथवा जिन्होंने कोविड संक्रमण के फलस्वरुप अपने परिवार को कोविड-19 के कारण खो दिया है। बहुत से लोग ऐसे बच्चों को गोद लेने अथवा देने के संबंध में सोशल मीडिया पर भी मुहिम चला रहे हैं। जबकि इस स्थिति में ऐसे बच्चों को किशोर न्याय अधिनियम 2015 के तहत देखरेख और संरक्षण का जरूरतमंद बालक घोषित कर अधिनियम के प्रावधानों के तहत कार्यवाही का बाल कल्याण समिति के समक्ष संरक्षण के लिए प्रस्तुत किया जाना चाहिए। जिला बाल संरक्षण अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग ने बताया कि गोद लेना व देना एक वैधानिक प्रक्रिया है, जिसका पालन किया जाना अनिवार्य है। गोद लेने व देने के लिए संपूर्ण भारत में एकमात्र व एकीकृत तरीका है “केंद्रीय दत्तक ग्रहण अभिकरण” (कारा) के जरिए दत्तक ग्रहण, इस हेतु भारत सरकार ने दत्तक ग्रहण मार्गदर्शी सिद्धांत 2017 भी जारी किए हैं। जिला बाल संरक्षण अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग ने बताया कि सामान्य व्यक्ति के लिए स्पष्ट संदेश है, कि ऐसे निराश्रित व जरूरतमंद बच्चों के संबंध में सोशल मीडिया पर पोस्ट डालने से बचें एवं उनकी जानकारी चाइल्ड लाइन 1098, स्थानीय पुलिस, विशेषज्ञ दत्तक ग्रहण अभिकरण, बाल कल्याण समिति, जिला बाल संरक्षण इकाई अथवा कारा को सूचित करें।
जिला बाल संरक्षण अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग ने बताया कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा अपने पत्र में उल्लेख किया गया है कि पूर्व के माह में अनेकों ऐसी शिकायतें प्राप्त हुई है, जिसमें यह आरोप लगाया जा रहा है कि अशासकीय व्यक्ति, संगठन द्वारा कोविड-19 के कारण अनाथ हुए बच्चों को किशोर न्याय अधिनियम 2015 के प्रावधानों का पालन किए बिना ही दत्तक ग्रहण के परिवार को दिया जा रहा है, जबकि किसी भी बच्चे को दत्तक ग्रहण पर सभी प्रावधानों का पालन कर अधिकृत प्राधिकरण द्वारा ही दिया जा सकता है। कोई व्यक्ति अथवा संस्था जो वैधानिक प्रक्रिया अपनाये बिना यदि ऐसे निराश्रित बच्चे को दत्तक ग्रहण पर देता या लेता है तो उनको 6 माह का कारावास या 10,000 रूपए का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।
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