आदि गुरु शंकराचार्य जी की प्राकट्य पंचमी का किया गया आयोजन
विद्वानों द्वारा बताये गए उनके जीवन के प्रसंग
मंत्री श्री शाह ने कहा स्कूलों में पढाई जायेगी शंकराचार्य जी की जीवनी
खण्डवा 01 मई, 2017 - अद्वेत वेदांत दर्शन के प्रथम आचार्य और सांस्कृतिक एकता के प्रवर्तक आदि गुरु शंकराचार्य जी की प्राकट्य पंचमी का आयोजन 1 मई को गोरीकुंज सभागृह में किया गया। कार्यक्रम स्कूल शिक्षा मंत्री कुंवर डॉ. विजय शाह जी के मुख्य आतिथ्य में आयोजित किया गया, जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में डॉक्टर पी पी शास्त्री डीन कृषि महाविद्यालय, डॉ. श्रीराम परिहार सेवानिवृत प्राचार्य और श्री कैलाष मंडलेकर जी द्वारा आदि शंकराचार्य जी के अद्वेत वेदांत मत, उनके जीवन के प्रसंगों की जानकारी दी गई। डॉ. पी पी शात्री जी द्वारा कहा गया कि दर्शन और आद्यात्म किसी पढाई से नही सीखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि शंकराचार्य जी के अनुसार आत्म ही ब्रह्म है, और वह ब्रह्म हम सभी के भीतर है, साथ ही प्रकति में हर जीव में ब्रह्म ही है इसलिए आपस में एक दूसरे को सम्मान देना एक दूसरे का सहयोग करना प्रकति की रक्षा करना ब्रह्म की रक्षा करना ही है, आत्मा और परमात्मा का एक हो जाना ही अद्वेतवाद है। डॉ. श्रीराम परिहार द्वारा आदि शंकराचार्य जी के जीवन से जुड़े कई प्रसंगों की जानकारी देते हुए बताया कि किस प्रकार बालक शंकर ओंकारेष्वर में उनके गुरु गोविंद पदाचार्य जी से अध्यात्म का ज्ञान प्राप्त करके शंकराचार्य हुए। डॉ. परिहार द्वारा बताया गया कि आदि शंकराचार्य जी द्वारा 3 भाष्य उपनिषद का भाष्य, ब्रह्मसूत्र का भाष्य और भगवत गीता के भाष्य लिखे गए है। शंकराचार्य जी द्वारा सभी रचनाओं का लेखन उनके ओंकारेष्वर में 4 वर्ष तक किये गए प्रवास के दौरान ही किया गया है। शंकराचार्य जी द्वारा उनकी रचनाओं में 2657 उदाहरणो द्वारा उनकी कही बातो को प्रमाणित किया है। शंकराचार्य जी द्वारा उस समय के कापालिक, शाक्य, शैव्य और वैष्णव माताबलंबियो को एक सूत्र में पिरोके सांस्कृतिक एकता की नींव रखी और सनातन धर्म के पुनरोद्धार का कार्य किया। डॉक्टर परिहार द्वारा पुराणों में वर्णित नर्मदा और गंगा नदियों के महत्व को भो बताया गया। श्री कैलाष मानडलेकर द्वारा कहा गया कि वर्तमान में हमारी सारी दौड़ भौतिकवाद की तरफ है आज की उपापोह और भागदौड़ भरे जीवन में स्वयं के लिए कुछ समय निकालकर आद्यात्म से जुड़ना ही बहुत है। उन्होंने कहा कि अपने विचारों को प्रगट करने से ही ज्ञान बढ़ता है और शंकराचार्य जी ने भी शास्त्रथ को ज्ञान प्राप्ति का मार्ग बताया है ।
आयोजन में स्कूल शिक्षा मंत्री डॉक्टर विजय शाह द्वारा कहा गया कि आगामी पीढ़ी को संस्कारो का ज्ञान करवाने, उन्हें नैतिकता की शिक्षा देने के लिए स्कूलों की पाठ्य पुस्तकों में आदि शंकराचार्य जी की जीवनी और प्रसंग जोड़े जाएंगे। मंत्री डॉ शाह द्वारा बताया गया कि ओंकारेष्वर में आदि शंकराचार्य जी की अष्ट धातु की विशाल प्रतिमा जन सहयोग से स्थापित की जा रही है। उन्होंने कहा कि भारत अध्यात्म का देश है और लोगो को अध्यात्म से जोड़ना और उनका नैतिक विकास करना भी शासन और सत्ताधारी लोगो का काम होता है । वर्तमान सरकार इस दिशा में नित्य प्रयत्न कर रही है। कार्यक्रम में खंडवा विधायक श्री देवेंद्र वर्मा और मान्धाता विधायक श्री लोकेंद्र सिंह तोमर द्वारा भी आदि शंकराचार्य जी के जीवन प्रसंगों और उनकी वर्तमान में प्रासंगिकता से सभी को अवगत कराया गया। कार्यक्रम का संचालन श्री गोविन्द शर्मा द्वारा किया गया और आभार प्रदर्शन अनुविभागीय अधिकारी श्री शाष्वत शर्मा द्वारा किया गया। आयोजन में कलेक्टर श्रीमती स्वाति मीणा नायक, पुलिस अधीक्षक श्री नवनीत भसीन, सीईओ जिला पंचायत डॉ वरदमूर्ति मिश्र व् अन्य विभागों के अधिकारी, साहित्यकार व अन्य नागरिक उपथित थे।
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