जनता की खुषी शासन का ध्येय - आलेख
खण्डवा 8 दिसम्बर, 2016 - क्या आप प्रसन्न है ? क्या आपकी जीवन शैली संतुलित है ? क्या आप तनाव मुक्त जीवन चाहते है ? क्या आप सभी को खुष देखना चाहते है ? क्या आप समाजसेवा के लिए तैयार है ? यदि इन सभी प्रष्नों के जवाब हॉं में है तो आप आनंदक बनने के लिए एक उपयुक्त व्यक्ति है। इस हेतु राज्य आनंद संस्थान द्वारा नवीन गठित आनंद विभाग के माध्यम से निःषुल्क रूप से आनंदकांे का पंजीयन दूरभाष क्रमांक 0755-2553333 पर किया जा रहा है। जिसमें कोई भी व्यक्ति प्रातः 10 से शाम 6 बजे तक आनंदक के रूप में अपना पंजीयन करा सकता हैं।
आनंदक और उनसे अपेक्षाऐं
ऽ वह अपने अन्य सामान्य कार्य कलापों के अतिरिक्त आनंद विभाग की गतिविधियों को स्वप्रेरणा से तथा बिना किसी मानदेय के संचालन करने के लिये तैयार हो ।
ऽ राज्य आनंद संस्थान की बेवसाईट का समय समय पर अवलोकन करते रहेंगे ताकि आनंदकों के लिये प्रसारित निर्देशों से अवगत रहें।
ऽ संस्थान को समय समय पर ऐसा फीड बैक देते रहेंगे जिससे उसकी गतिविधियों में निरंतर सुधार आ सके।
ऽ अगर उन्हें प्रशिक्षण के अनुसार कार्य करने में कठिनाई का अनुभव हो तो उससे हतोत्साहित नहीं होंगे।
ऽ अपने कर्तव्यों तथा विचारों से दूसरों के लिये सकारात्मक उदाहरण बनेंगे। (ठम जीम बींदहम जींज लवन ूंदज) अर्थात दूसरों के जीवन जीने की शैली में जो परिवर्तन लाने का प्रसास करेंगे उस परिवर्तन को पहले अपने जीवन में अनुभव करेंगे ताकि वह स्वतरू उदाहरण बन सके।
ऽ अन्य व्यक्तियों को भी आनंद गतिविधियों में भाग लेने के लिये प्रेरित करेंगे।
ऽ पंजीकरण के दौरान आनंदक संचालित कार्यक्रम जैसे आनंद उत्सव/ आनंद सभा/ आंनदम में से किसी भी कार्यक्रम में सहभागिता का विकल्प चुन सकेंगे।
क्या हैं आनंद उत्सव/ आनंद सभा/ आंनदम
आनन्द उत्सव - लोक संगीत, नृत्य, गायन, भजन-कीर्तन, नाटक तथा खेलकूद की गतिविधियां परिपूर्ण जीवन की एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं। इस मान्यता के आधार पर आनंद उत्सव की परिकल्पना की गई है। आनंद उत्सतव के तहत् ग्राम पंचायत/पंचायत समूह स्तर पर सभी आयु वर्ग के ग्रामीण भाई, बहनों के लिए खेल तथा सांस्कृतिक आयोजन किये जायेंगे। आगामी वर्षाे में इसे ब्लाक तथा जिला स्तर तक भी ले जाया जायेगा। उत्कृष्ट आयोजनों को जिला स्तर पर को पुरुस्कृत किया जावेगा।
आनन्दम् - आनंद विभाग का यह प्रयास है कि ऐसे स्वयंसेवकों (आनंदकों) को तैयार किया जाए, जो कार्यालयों में इन्हें सकारात्मक जीवन-शैली अपनाने की आवश्यक विधियॉं उपलब्ध करा सके। स्वयंसेवक निजी क्षेत्र से अथवा उसी कार्यालय के कर्मचारी हो सकते हैं। शासकीय कार्यालयों में कार्यरत अधिकारियों/कर्मचारियों में सकारात्मक सोच विकसित करने के लिए निरंतर प्रयास आवश्यक है। इसका लोक सेवाओं के प्रभावी प्रबंधन तथा प्रदाय से सीधा संबंध है। भौतिक सुविधायें तथा समृध्दि अकेले आनंदपूर्ण मनोस्थिति का कारक नहीं होती। यह आवश्यक है कि प्रशासनिक अधिकारियों/कर्मचारियों का दृष्टिकोण जीवन की परिपूर्णता की मौलिक समझ पर आधारित हो।
आनंद सभा - आनंद विभाग का यह प्रयास है कि विद्यार्थियों को प्रशिक्षित स्वयंसेवकों के माध्यम से तथा शिक्षकों के सहयोग से अपनी आंतरिक क्षमता को विकसित करने का अवसर मिलना चाहिए। स्कूल तथा कालेजों के विद्यार्थियों को सशक्त एवं परिपूर्ण जीवन जीना सिखाने के लिए उन्हें ऐसी गतिविधियों में सम्मिलित किया जाना चाहिए जो सकारात्मक जीवन शैली का आधार बन सकती है। पारंपरिक रूप से नैतिक मूल्य पाठ्यक्रमों का भाग अवश्य होते हैं तथा उनका मनोवृत्तियों पर सकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है। स्वजागरूकता, पारस्परिक सहयोग, सहानुभूति, प्रभावशाली संवाद, निर्णय क्षमता, कठिनाई का सामना, सृजनात्मकता, समीक्षात्मकता, भावना को समझना, तनाव रहित जीवन जैसे विषयों की मौलिक समझ विकसित करना आवश्यक है। योजना शासन की है किन्तु आनंद एवं शांति प्रत्येक व्यक्ति के जीवन की आवष्यकता है , अतः अधिक से अधिक लोग आनंदक के रूप में पंजीयन कराये।
ःः आलेख:ः
( हेमलता शर्मा , सहायक संचालक जिला जनसम्पर्क कार्यालय खण्डवा )
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