नदी पुनर्जीवन कार्यक्रम को जनांदोलन के रूप में संचालित किया जाये - कलेक्टर श्रीमती सुन्द्रियाल
खण्डवा 21 जनवरी, 2020 - नदी पुर्नजीवन कार्यक्रम को रोजगार गारंटी योजना में शामिल करने से जहां एक ओर ग्रामीणों को बड़ी संख्या में रोजगार मिल रहा है, वही गांव में जल संरक्षण के कार्यो के साथ साथ अन्य निर्माण कार्य भी हो रहे है। नदी पुनर्जीवन कार्यक्रम को आम आदमी से जोड़कर एक जन आन्दोलन के रूप में संचालित किया जाना चाहिए, तभी यह कार्यक्रम सफल होगा। यह बात कलेक्टर श्रीमती तन्वी सुन्द्रियाल ने कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में मंगलवार को नदी पुनर्जीवन कार्यक्रम की समीक्षा बैठक में कही। बैठक में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री रोषन कुमार सिंह सहित विभिन्न जनपद पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी तथा जल संसाधन, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के कार्यपालन यंत्री भी उपस्थित थे।
जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री रोषन कुमार सिंह ने इस अवसर पर बताया कि हमारे देश में वर्षा तो पर्याप्त होती है लेकिन वर्षा के पानी को रोकने की सही प्लानिंग के अभाव में वर्षा का जल व्यर्थ बह जाता है। आवश्यकता गांव का पानी गांव में तथा खेत की मिट्टी खेत में रोकने की है। जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री रोषन कुमार सिंह ने बताया कि जिले में नदी पुर्नजीवन कार्यक्रम के तहत पहले चरण में खण्डवा, छैगांवमाखन व पुनासा विकासखण्ड के विभिन्न ग्रामों में पूर्व में बहने वाली ‘‘कावेरी नदी‘‘ को चयनित किया गया तथा इस सूख चुकी नदी के आसपास जल स्तर बढ़ाने के अनेकों कार्य स्वीकृत किए गए है। उन्होंने बताया कि लगभग 54 किलो मीटर लंबी कावेरी नदी का कैचमेंट एरिया 47091 हेक्टेयर है। उन्होंने बताया कि नदी पुर्नजीवन कार्यक्रम के तहत कावेरी नदी के बाद दूसरे चरण में जिले की ‘‘रूपारेल नदी‘‘ का चिन्हांकन किया गया, जो कि हरसूद व खालवा विकासखण्ड के विभिन्न ग्रामों से होकर बहती थी, लेकिन पिछले कई वर्ष से लगभग सूख चुकी है। रूपारेल नदी के पुर्नजीवन के लिए जनपद पंचायत, हरसूद व जनपद पंचायत, खालवा द्वारा बहुत से कार्य स्वीकृत किए गए है। श्री रोषन सिंह ने बताया कि जिले में नदी पुनर्जीवन कार्यक्रम के तहत बड़ी संख्या में स्टॉप डेम, चेक डेम, निस्तार तालाब, पोखर, खेत तालाब, नाला विस्तारीकरण, गली प्लगिंग, गेवियन स्टेªक्चर, कन्टूर ट्रेंच जैसी संरचनाएं निर्मित कराई गई है, ताकि वर्षा का जल इनमें रूके और गांव का जल स्तर भरपूर रहे।
बैठक में नदी पुनर्जीवन कार्यक्रम के संबंध में प्रजेन्टेषन प्रस्तुत किया गया। बैठक में विषय विषेषज्ञों द्वारा बताया गया कि अब नदियांे में पहले की तरह बारह महीने पानी नही रहता है, बल्कि बरसात समाप्त होते ही जल स्तर कम होने लगता है और दिसम्बर आते आते नदियां सूखने लगती है। यह सब जल स्त्रोतों के अतिदोहन, भू गर्भीय हलचल से हुए प्राकृतिक परिवर्तन, मौसम परिवर्तन के कारण हो रहा है। आवष्यकता इस बात की है कि नदियांे के जल ग्रहण क्षेत्र में जल स्तर बढ़ाया जाये ताकि नदियों में सालभर पानी रूक सके। विषय विषेषज्ञों द्वारा बताया गया कि जल प्रदूषण के कारण तथा नदियों से रेत के अत्यधिक उत्खनन के कारण भी नदियांे की प्राकृतिक संरचना में परिवर्तन हुआ है, जिससे उनमें सालभर पानी नही रह पाता है।
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