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Monday, 16 September 2019

मौसम के पूर्वानुमान के आधार पर किसानों के लिए जरूरी सलाह

मौसम के पूर्वानुमान के आधार पर किसानों के लिए जरूरी सलाह

खण्डवा 16 सितम्बर, 2019 -  भारत मौसम विज्ञान विभाग भोपाल द्वारा आगामी 18 सितंबर तक का मौसम का पूर्वानुमान जारी किया गया है जिसमें अधिकांश क्षेत्रों में घने बादल मध्यम से बहुत भारी वर्षा होने की संभावना है। इस दौरान अधिकतम तापमान 27 से 27 डिग्री और न्यूनतम तापमान 22 से 23 डिग्री सेंटीग्रेट रहने तथा अधिकतम 95 से 99 प्रतिशत और न्यूनतम 77 से 83 प्रतिशत सापेक्षित आर्द्रता रहने की संभावना है। आने वाले दिनों में हवा की दिशा उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पश्चिम दिशाओं में 10 से 16 कि.मी. प्रति घंटे की गति से चलने की संभावना है। अगले दिनों के मौसम को देखते हुये किसानों को फसल के अनुसार सामान्य सलाह दी गई है जिससे किसान अपनी फसलों का बचाव करते हुये अच्छा उत्पादन ले सकें।
किसान भाई खेतों में जल निकासी की व्यवस्था अवश्य करें
      मौसम पूर्वानुमान के अनुसार भारी वर्षा को देखते हुये किसान खेतों में नींदानाशक दवाओं और नाइट्रोजनयुक्त उर्वरकों का मौसम खुलते तक उपयोग नहीं करें। सब्जियों, दलहनी और तिलहनी फसलों, मक्का, सोयाबीन, मूंगफली, कपास, गन्ना, उद्यानिकी फसलों आदि में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें। जिन स्थानों पर पानी संग्रहण के लिये कुयें, तालाब या अन्य साधन है वहां पम्प द्वारा पानी खाली करें जिससे फसलों को अत्यधिक नुकसान से बचाया जा सके। प्रकाश प्रपंच का उपयोग कर वयस्क कीट को आकर्षिक करके नष्ट कर दें। मक्का फसल में फॉल आर्मी वर्म कीट के प्रकोप की संभावना को देखते हुये फसल की सतत निगरानी करें। खेत में इल्ली का प्रकोप होने पर स्पिनोसेड 45 एस.सी./0.3 मि.ली.या इमामेक्टिन बेन्झोएट 5 एस.जी./0.4 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। मक्का में झुलसा रोग का प्रकोप दिखाई देने पर इसके बचाव के लिये डाइथेन एम.45 या इण्डोफील/35-40 ग्राम या ब्लू कॉपर/55-60 ग्राम दवा 18 लीटर पानी में मिलाकर 15 दिन के अंतराल पर 2 से 3 स्प्रे करें। 
सायोबीन, मूंगफली व कपास उत्पादक किसानों के लिए सलाह
           सोयाबीन फसल में पत्ती खाने वाले कीट दिखने पर ट्राइजोफास 1.5 मि.ली. दवा या फ्लुबेंडामाईड 0.5 मि.ली. दवा प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर 200 लीटर घोल प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें और दवा छिड़काव के 3 घंटे के भीतर बारिश हो जाने पर पुनः छिड़काव करने के साथ ही साबुन के घोल का उपयोग करें। सफेद सुंडी का प्रकोप होने पर क्लोरोपाइरीफास 20 ई.सी. 1500 मि.ली. दवा प्रति हैक्टेयर दिये गये पानी की मात्रा के साथ फसल की जडों के पास छिड़काव करें जिससे कीटनाशक का घोल जमीन के अंदर 2-3 इंच तक पहुंच सकें। फसल में प्रकाश जाल अर्थात फैरोमेन ट्रेप लगाकर कीट प्रबंधन करें और बीज उत्पादन के लिये उगाई जाने वाली सोयाबीन की फसल में अन्य किस्मों के पौधों का निष्कासन करें जिससे बीज की शुध्दता बनी रहे। मूंगफली फसल में टिक्का बीमारी के प्रकोप के नियंत्रण के लिये 2 किलो जिनेब को एक हजार लीटर पानी में घोलकर 7 दिनों के अंतराल में 4 स्प्रे करें। कपास फसल में रसचूसक का प्रकोप दिखाई देने पर इमिडाक्लोप्रिड 0.5 मि.ली. या इमिडाक्लोप्रिड और एसिफेड एक ग्राम दवा प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। गन्ने की फसल में आवश्यकता के अनुसार निंदाई-गुड़ाई कर मिट्टी चढ़ायें और पायरिल्ला कीटों का प्रकोप कम करने के लिये जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।
उद्यानिकी फसलों की कीटों से रक्षा करें
     इसी प्रकार किसानों को सलाह दी गई है कि उद्यानिकी फसलों के अंतर्गत मिर्ची को पत्ती कुंचन रोग से बचाने के लिये मेथाईल डेमेटॉन या कैराथॉन दवा एक ग्राम प्रति लीटर का उपयोग करें। साग-सब्जी फसल विशेष रूप से बैगन में फलीभेदक कीट पर निगरानी रखें और कद्दू वर्गीय सब्जियों में कीट का प्रकोप पाये जाने पर कम हवा चलने और साफ मौसम में मेलाथियान 40 ई.सी. दवा 2 मि.ली. प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। संतरा, नीबू, मौसम्बी आदि में लैमन बटरफ्लाई का प्रकोप दिखाई देने पर क्लोरोपाईरीफास 2 मि.ली. दवा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। नीबू वर्गीय पौधों में कैंकर रोग की रोकथाम के लिये ग्रसित पत्तीयों और टहनियों को तोड़कर पहले नष्ट करें और बाद में 60 लीटर पानी में कॉपर ऑक्सीक्लोराईड 180 ग्राम और स्ट्रेप्टोसायक्लीन 6 ग्राम दवा का घोल बनाकर छिड़काव करें। 
मुर्गी पालकों व पशुपालकों के लिए सलाह
            मौसम को देखते हुये पशु पालकों व मुर्गी पालकों को सलाह दी गई है कि पशुबाड़े के फर्श को यथासंभव सूखा रखें। पशुओं के अच्छे स्वास्थ्य, दूध उत्पादन बनाये रखने और बीमारियों से बचाव के लिये पशुबाड़े में मक्खी और मच्छरों के नियंत्रण का उपाय करें। यदि दुधारू गायों के अयन में खरोंच या चोट लगी हो तो हिमैक्स लोशन लगायें। पशुबाड़े के आस-पास ऊगी झाडि़यों व गाजर घास को उखाड़कर फेकें और गड्ढों को भर दें जिससे मच्छर न पनप पायें। मुर्गी घर में पर्याप्त रोशनी का प्रबंध करें और दिन के समय पंखा चलाकर रखें ताकि सीलनयुक्त हवा बाहर निकलती रही और उमस वाला वातावरण नहीं रहे।

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