Wednesday, 7 August 2019

पौधरोपण के साथ साथ पौधों की सुरक्षा व सिंचाई की भी व्यवस्था करें - कलेक्टर श्रीमती सुन्द्रियाल

पौधरोपण के साथ साथ पौधों की सुरक्षा व सिंचाई की भी व्यवस्था करें
- कलेक्टर श्रीमती सुन्द्रियाल

खण्डवा 7 अगस्त, 2019 - आगामी 1 सप्ताह में जिले में शासन द्वारा निर्धारित पौधरोपण के लक्ष्य अनुसार सभी विकासखण्डों में पौधरोपण सुनिश्चित करें। पौधरोपण एक ही स्थान पर बड़ी संख्या में किया जाये, साथ ही पौधों की सुरक्षा के लिए फेसिंग या सीपीटी की व्यवस्था की जायें एवं उनकी सिंचाई के लिए भी आवश्यक इंतजाम किए जाये। यह निर्देश कलेक्टर श्रीमती तन्वी सुन्द्रियाल ने बुधवार को कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में आयोजित पौधरोपण संबंधी बैठक में उपस्थित अधिकारियों को दिए। इस दौरान जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री रोशन कुमार सिंह सहित जनपद पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, सभी एसडीएम, उद्यानिकी तथा वन विभाग के अधिकारी भी मौजूद थे।
बैठक में कलेक्टर श्रीमती सुन्द्रियाल ने निर्देश दिए कि जिन शासकीय कार्यालयों में फेसिंग या बाउन्ड्रीवाल युक्त बड़े परिसर है, वहीं पौधरोपण किया जाये। उन्होंने आंगनवाड़ी परिसरों में मुनगे के पौधे लगाने के लिए कहा। कलेक्टर श्रीमती सुन्द्रियाल ने सभी एसडीएम को निर्देश दिए कि वे अपने क्षेत्र में किए गए पौधरोपण का निरीक्षण खुद भी करे और अपने पटवारियों के माध्यम से भी सत्यापन करायें। उन्होंने सभी जनपद पंचायतों के सीईओ से कहा कि रोजगार गारंटी योजना के तहत पहाडि़यों पर जितनी भी कन्टूर ट्रेंच खोदी गई है, सभी में खाद व मिट्टी डालकर पौधरोपण करायें। उन्होंने कहा कि बिना पूर्व तैयारी के पौधरोपण न किया जायें। बैठक में बताया गया कि छैगांवमाखन विकासखण्ड में 5 हजार, हरसूद में 1 हजार, बलड़ी में 3 हजार, पुनासा में 6 हजार तथा खण्डवा विकासखण्ड में 16 हजार पौधें आगामी दिनों में लगाए जाना है। 
बैठक में कलेक्टर श्रीमती सुन्द्रियाल ने कहा कि लगाए गए पौधों की गुणवत्ता की पूरी जिम्मेदारी संबंधित क्षेत्र के रोजगार गारंटी योजना के उपयंत्री की होगी। यदि पौधे सूख गए या अन्य कारणों से नष्ट हो गए तो उसके लिए उपयंत्रियों के विरूद्ध कार्यवाही की जायेगी। जिला पंचायत के सीईओ श्री रोशन सिंह ने इस अवसर पर कहा कि वन विभाग व उद्यानिकी विभाग से शासकीय निर्धारित दर पर पौधे लिए जायें। उन्होंने कहा कि छोटे आकार के पौधे न लगाए जाये क्योंकि उनके नष्ट होने की संभावना अधिक होती है।

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