Thursday, 7 June 2018

निपाह वायरस बीमारी से बचाव के लिए बरतें सांवधानी

निपाह वायरस बीमारी से बचाव के लिए बरतें सांवधानी

खण्डवा 7 जून, 2018 - निपाह वायरस बीमारी एक संक्रामक एवं उभरती हुई जेनेटिक बीमारी है । यह बीमारी सितम्बर 1998 से मई 1999 में मलेशिया और सिंगापुर में पाई गई थी । भारत में 2001 और 2007 के दौरान पश्चिम बंगाल, पड़ोसी देश बांग्लादेश में कुछ प्रकरण दर्ज किये गये थे। निपाह एक घातक वायरस बीमारी है । चमगादड़ इस बीमारी का नेचरल रिजर्वायर है । इस बीमारी से चमगादड़ की मृत्यु नहीं होती है। बीमारी का संक्रमण चमगादड़ द्वारा कुतरे हुए फलों को सुअर द्वारा ग्रहण करने पर सुअरों को हो जाता है एवं मनुष्यों में में यह बीमारी दूषित कच्ची ताड़ी पीने से एवं संक्रमित चमगादड़ एवं सुअर के सम्पर्क में आने से हो जाती है । 
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि मनुष्य से मनुष्य में संक्रमण निकट शारीरिक सम्पर्क से, शरीर के तरल पदार्थ से होती है । बीमारी का इंकुबेशन पीरियड 4 से 21 दिनों तक रहता है । उन्होंने बताया कि निपाह वायरस बीमारी के मुख्य लक्षणों में तेज बुखार, सिर दर्द, बदन दर्द, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, उल्टी-दस्त शामिल है । उन्होंने बताया कि निपाह वायरस बीमारी से बचाव हेतु जो सावधानियां रखी जानी चाहिए उनमें बड़ी चमगादड़ों के द्वारा खाये हुए व अपशिष्ट फलों का सेवन न करना, ताड़ी का सेवन न करना, बड़ी चमगादड़ों एवं सुअरों के सम्पर्क से बचना शामिल है। उन्होंने नागरिकों को सलाह दी है कि संभावित निपाह वायरस के रोगी दूर रहे तथा उससे सम्पर्क न करें । जिले के सभी शासकीय व निजी अस्पतालों के संचालकों को निर्देश दिये गए है किं कोई भी संदिग्ध मरीज मिलने पर इसकी सूचना तत्काल जिला सर्वेलेंस इकाई अथवा जिला एपिडिमियोलॉजिस्ट को उनके मोबाईल नंबर 98260 39770 पर देवें। 

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