Tuesday, 1 May 2018

तेज गर्मी और लू से साँवधानी बरतें

तेज गर्मी और लू से साँवधानी बरतें  

खण्डवा 01 मई, 2018 - ग्रीष्मकाल में बढ़ते तापमान एवं लू से बचने के लिए प्रभारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अतुल माने ने जिले के सभी नागरिकों से सावधानियॉं बरतने का आग्रह किया एवं  सभी नागरिको से अपील की है कि जिले में ग्रीष्मकाल में अप्रैल माह से जून माह तक 40 डिग्री सेल्सीयस के उपर तापमान पहुंच जाता है, इन महिनों में अधिक देर तक बाहर धूप में रहने से लू के शिकार हो जाते है इससे कभी-कभी मृत्यु भी हो जाती है । आहार विकार पर ध्यान देने से लू या संक्रमक रोगों से बचा जा सकता है। लू से शिकार व्यक्ति को तेज सिर दर्द होता है मुंह-जुबान सुखने लगती है, माथे, हाथ,पैर से पसीना आता है व घबराहट होती है और प्यास लगती है, उल्टी होती है भूख नहीं लगती है तथा हालत अधिक खराब होने से मरीज बेहोश हो जाता है। त्वचा एक दम शुष्क और तापमान 105 डिग्री फेरेनाईट तक हो जाता है। गर्मी कारण शरीर मेेें पानी की कमी हो जाती है, बुखार हाथ पैरों में दर्द, आंखों और पैशाब में जलन के साथ ही कभी-कभी दस्त भी लगते है। साथ  ही पानी की कमी के कारण मृत्यु का खतरा भी बना रहता है। 
लू से बचाव तथा इसके प्राथमिक उपचार के लिये ये रखे सावधानियॉं
गर्मी के मौसम में गर्दन के पिछले भाग, कान व सिर को गमछे या तौलिये से ढ़ककर ही धूप में निकलें ।  रंगीन चश्में व छतरी का प्रयोग करें । गर्मी के दिनों में धूप में बाहर जाते समय हमेशा सफेद या हल्के रंग के ढीले कपड़ों का प्रयोग करें।  बिना भोजन किये बाहर न निकलें ।  भोजन करके एवं पानी पीकर ही बाहर निकलें । गर्मी में हमेशा पानी अधिक मात्रा में पीये एवं पेय पदार्थों का अधिक-से-अधिक मात्रा में सेवन करें । जहॉं तक संभव हो ज्यादा समय तक धूप में खड़े होकर व्यायाम या मेहनत न करें एवं बहुत अधिक भीड़, गर्म घुटन भरे कमरों, रेल, बस आदि की यात्रा गर्मी के मौसम में नहीं करें। यदि कोई व्यक्ति लू-तापधात से प्रभावित होता है तो उसका तत्काल निम्नलिखित तरीकों से प्राथमिक उपचार किया जावें:- रोगी को तुरन्त छायादार जगह पर कपडे ढ़ीलें कर लिटा दें एवं हवा करें।  रोगी को होश आने की दशा में उसे ठण्डे पेय पदार्थ, जीवन रक्षक घोल, कच्च आम का पना आदि दें। प्याज का रस अथवा जोै के आटे को भी ताप नियंत्रण हेतु मला जा सकता है।  रोगी के शरीर का ताप कम करने के लिये यदि संभव हो तो उसे ठण्डे पानी से स्नान करायें या उसके शरीर पर ठण्डे पानी की पट्टियॉं रखकर पूरे शरीर को ढंक दें । इस प्रक्रिया को तब तक दोहरायें जब तक की शरीर का ताप कम नहीं हो जाता है ।  उक्त उपचार से यदि मरीज ठीक नहीं होता है तो उसे तत्काल निकट की चिकित्सा संस्था में भेजा जाये। 

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