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Tuesday, 1 November 2016

अधिक तीव्रता वाले पटाखों से आँख और कान को हो सकता है नुकसान

अधिक तीव्रता वाले पटाखों से आँख और कान को हो सकता है नुकसान

खण्डवा 29 अक्टूबर 2016 - दीपावली पर्व के दौरान अत्यधिक तीव्रता और तेज प्रकाश पैदा करने वाले पटाखे आपके त्यौहार का रंग फीका कर सकते हैं। ये पटाखे आपकी सुनने और देखने की शक्ति को भी गंभीर नुकसान पहुँचा सकते हैं। इसलिये ध्वनि प्रदूषण अधिनियम के प्रावधान व उच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित मापदण्डों के अंतर्गत आने वाले पटाखों का उपयोग ही करें। यह अपील मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जिले के सभी नागरिकों से की गयी है। जारी अपील में कहा गया है कि ध्वनि स्तर मानक नियमानुसार 100 डेसिबल से अधिक ध्वनि तीव्रता वाले पटाखों के उपयोग को शासन द्वारा प्रतिबंधित किया गया है। 
मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा दीपावली के पर्व के दौरान ज्वलनशील व ध्वनिकारक विभिन्न प्रकार के पटाखों के उपयोग के संबंध में आमजन को जागरूक रहने के लिये अपील की गई है। पटाखों की जितनी ज्यादा आवाज होती है उनमें उतना ज्यादा विस्फोटक का उपयोग किया जाता है और इन पटाखों से उसी अनुपात में प्रदूषण होता है। पटाखों और फुलझडियों से निकलने वाली रंगीन रोशनी के लिये इनमें ज्यादा रासायनिक पदार्थों का उपयोग किया जाता है। यह रोशनी पर्यावरण में प्रदूषण पैदा करने के साथ-साथ इनका उपयोग करने वालों की आँखों की रोशनी और अधिक तीव्रता होने पर उनके सुनने की क्षमता को भी प्रभावित करती है। इसके संबंध में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा भी पटाखों की ध्वनि स्तर का मानक निर्धारित किया गया है, जिसके अनुसार 4 मीटर की दूरी पर 125 डी.बी.ए. या 145 डी.बी. से अधिक स्तर के पटाखों का निर्माण व विक्रय दोनों को प्रतिबंधित किया गया है। इस संबंध में उच्च न्यायालय द्वारा 18 जुलाई 2002 को दिए गए निर्णय के अनुसार रात्रि में 10 बजे से प्रातः 6 बजे तक ध्वनिकारक पटाखों के उपयोग को पूर्णतः प्रतिबंधित किया गया है। पटाखों के चलाने से उत्पन्न कागज के टुकडे, अधजली बारूद, जिसको हम सामान्यतः कचरे के रूप में इधर-उधर फेंक देते हैं, जो अनेक बार पशु और बच्चों के लिये दुर्घटना का कारण बनती है। 
पटाखों के उपयोग और उसके डिस्पोजल के संबंध में प्रदूषण बोर्ड के सुझाव
जहाँ तक संभव हो पटाखों का उपयोग न करें । 
आवश्यकतानुसार धंुआ रहित पटाखों का उपयोग करें । 
ऐसे पटाखों का उपयोग करें जिनकी ध्वनि तीव्रता काफी कमी हो । 
बच्चों को अकेले में पटाखे न चलाने दें । 
पटाखे चलाते समय नायलॉन, टेरीकॉट, रेशम के ढीले वस्त्रों का उपयोग न करें । 
हाथ में लेकर पटाखे न चलाएँ । 
पटाखे चलाने के बाद बचे कचरे को घरेलू कचरे के साथ न रखें । 
पटाखे चलाने के बाद कचरे को पेयजल स्त्रोतों के पास न फेकें क्योंकि उनके प्रदूषित होने की   
      संभावना बनी रहती है। 

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