Wednesday, 3 August 2016

सोयाबीन कृृषको के लिये उपयोगी सलाह

सोयाबीन कृृषको के लिये उपयोगी सलाह

खण्डवा 3 अगस्त, 2016 - वर्तमान में सोयाबीन की फसल लगभग एक माह से अधिक की हो चुकी हैै।ं एवं प्रमुख प्रजाति जे.एस. 95-60 में फूल आ चुके है। उप संचालक कृषि श्री ओ. पी. चौरे ने बताया कि मध्यम अवधि में पकने वाली प्रजातियो में फूल आने में कुछ समय बाकि है, फसल की स्थिति को ध्यान में रखते हुए, कृषको को सलाह दी जाती है फसल का सुक्ष्मता पूर्वक निरीक्षण करे एवं सेमीलूपर इल्लिया दिखाई देने पर क्विनालफास (1.5 ली/हे.) अथवा इन्डोक्लाकार्ब (500 मि.ली./हे.) अथवा क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल (100 मि.ली./हे)  की दर से 500 लीटर पानी के साथ छिड़काव करे। यदि फसल पर सिर्फ तम्बाकु की इल्लि का प्रकोप देखने में आ रहा है तो उसके नियंत्रण हेतु स्पाइनेटोरम 11.7 एस.सी. का 450 मि.ली./हे. की दर से छिड़काव करे। जहां पर पत्ति खाने वाली इल्लियो के साथ साथ रस चूसने वाले किट (सफेद मक्खी) एवं गर्डल बीटल का प्रकोप हो रहा है। वहां पूर्व मिश्रित कीटनाषक बीटासायफ्लूथ्रीन$इमिडाक्लोप्रीड का 350 मि.ली/हे की दर से छिड़काव करे। उन्होंने कहा कि जहां पर सोयाबीन फसल में सिंर्फ चक्रभृृंग (गर्डल बीटल) का प्रकोप दिखाई दे रहा है। वहां ट्राइजोफॉस (800 मि.ली/हे) अथवा थायक्लोप्रीड (650 मि.ली./हे) का छिडकाव करे तथा ग्रषित पौध अवषेषो को प्रारम्भिक अवस्था में ही तोड़कर निष्कासित करे। फूल आने की अवस्था में कुछ क्षेत्रो में सोयाबीन की फसल पत्ती धब्बा नामक बीमारी आने की संभावना है। कृृषको को सलाह है कि लक्षण दिखाई देने पर कार्बेन्डाजिम (250 ग्राम/हे) या डाइथेन-एम 45 (500गा्र./हे) का 500 लीटर पानी के साथ छिडकाव करे। सोयाबीन की फसल में पीला मोजेक बीमारी के फैलाव को रोकने हेतु ग्रसित पौधे दिखने पर उनको तुरन्त उखाड़ कर नष्ट करे। अधिक वर्षा होने एवं खेत में अधिक समय तक पानी जमा होने के कारण सोयाबीन के खेतो में गर्दनी सड़न का प्रकोप होता है। कृषको को सलाह है कि खेतो से अतिरिक्त पानी के निकासी की व्यवस्था करे। साथ ही हस्तचलित डोरा चलांए एवं कार्बेंन्डाजिम (1 ग्रा./ली. पानी की दर से) पौधो की जडो के पास नोजल रहित स्प्रेयर की सहायता से उपयोग (ड्रेन्चिंग) करे।

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