अधिकारों के साथ साथ अपने कर्त्तव्यों के प्रति भी जागरूक रहें नागरिक
- पुलिस अधीक्षक डॉ. सिकरवार
मानव अधिकार एवं सुषासन विषय पर कार्यषाला सम्पन्न
खण्डवा 10 दिसम्बर ,2015 - हमें अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहने के साथ साथ अपने कर्तव्यों का पालन भी सही ढं़ग से करना चाहिए तथा प्रयास करना चाहिए कि हमारे कारण किसी के मानव अधिकारो को क्षति न पहॅुंचे। यह बात पुलिस अधीक्षक डॉ. महेन्द्र सिंह सिकरवार ने आज मानव अधिकार दिवस के अवसर पर पूनमचंद गुप्ता महाविद्यालय के आडिटोरियम में मानव अधिकार एवं सुषासन विषय पर आयोजित कार्यषाला में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कही। कार्यषाला में मानव अधिकार आयोग के जिला संयोजक श्री नारायण बाहेती, श्रीमती प्रेरणा जैन, श्री सुरेष मालवीय, एवं वरिष्ठ पत्रकार श्री प्रमोद सिन्हा सहित विभिन्न वक्ताओं ने मानव अधिकार व सुषासन विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए। कार्यषाला का संचालन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री गोपाल खाण्डेल ने किया। इससे पूर्व कार्यषाला का शुभारंभ अतिथियों द्वारा मॉं सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित नागरिकों को मानव अधिकार दिवस संबंधी शपथ भी दिलाई गई।
पुलिस अधीक्षक डॉ. सिकरवार ने संबोधित करते हुए कहा कि अक्सर पुलिस पर मानव अधिकारों के हनन के आरोप लगते है, लेकिन वास्तविकता यह है कि गरीबों, मासूमों, व सामान्य नागरिकों के मानवाधिकारों की रक्षा भी पुलिस ही करती है। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित सभी पुलिस अधिकारियों को मानव अधिकारों के संबंध में एक सुझाव देते हुए कहा कि किसी भी फरियादी के साथ उन्हें वैसा व्यवहार करना चाहिए, जैसा कि वे स्वयं के साथ व्यवहार की उम्मीद करते है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा मानव अधिकारो के संरक्षण हेतु एवं मानव अधिकारों के प्रति जागरूकता लाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस प्रतिवर्ष 10 दिसम्बर को मनाया जाने का निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा कि पुलिस को फरियादी के साथ सद्भाव पूर्ण व्यवहार करना चाहिए।
मानव अधिकार आयोग के जिला संयोजक श्री बाहेती ने इस अवसर पर कहा कि संविधान द्वारा सभी नागरिकों को मूल अधिकार दिए गए है। उन्होंने कहा कि नागरिकों को षिक्षा का अधिकार, समानता का अधिकार, सूचना का अधिकार, जैसे अनेकांे अधिकार दिए गए है। वरिष्ठ पत्रकार श्री सिन्हा ने इस अवसर पर कहा कि हमें अपने अधिकारों के साथ - साथ अपने कर्त्तव्यों एवं दूसरों के अधिकारों की भी चिंता करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की स्थापना 1993 में हुई थी। श्री सुरेष मालवीय ने अपने संबोधन में कहा कि षिक्षा के प्रचार प्रसार से भी मानव अधिकारो के प्रति लोगों को जागरूक किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य के पैदा होते ही उसे मानव अधिकार प्राप्त हो जाते है। इन अधिकारों के संरक्षण के लिए प्रत्येक राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर मानव अधिकार आयोग का गठन किया गया। इसके अलावा न्याय पालिका द्वारा भी प्रत्येक नागरिक के मानव अधिकारो का संरक्षण किया जाता है। श्रीमती जैन ने इस अवसर पर कहा कि सुषासन के लिए जागरूकता आवष्यक है। मानव अधिकारो के प्रति जागरूक होने के साथ साथ हमें अपने कर्त्तव्यों के प्रति भी जागरूक रहना चाहिए। कार्यक्रम के अंत में आभार प्रदर्षन यातायात डीएसपी श्री सलोकी ने किया।
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