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Thursday, 10 December 2015

मानव अधिकारो की रक्षा से ही स्थापित होता है सुषासन - कलेक्टर डॉ. अग्रवाल

मानव अधिकारो की रक्षा से ही स्थापित होता है सुषासन - कलेक्टर डॉ. अग्रवालकलेक्टर ने सभी अधिकारी, कर्मचारियों को दिलाई मानव अधिकार संबंधी शपथ



खण्डवा 10 दिसम्बर ,2015 -  सभी को अपने कर्त्तव्यों का पालन करने पर ध्यान देना चाहिए। क्योंकि एक व्यक्ति का जो कर्त्तव्य होता है वहीं दूसरे व्यक्ति का अधिकार होता है। अतः यदि सभी लोग अपने कर्त्तव्यों की पूर्ति सही ढ़ंग से करे तो सभी के अधिकारों का संरक्षण स्वतः ही हो जायेगा। यह बात कलेक्टर डॉ. एम.के.अग्रवाल ने आज मानव अधिकार दिवस के अवसर पर कलेक्ट्रेट के सभाकक्ष में मानव अधिकार एवं सुषासन विषय पर आयोजित कार्यषाला में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कही। कार्यषाला में अपर कलेक्टर श्री अनुराग सक्सेना, मानव अधिकार आयोग के जिला संयोजक श्री नारायण बाहेती, आयोग मित्र श्री सुरेन्द्र सिंह सौलंकी, प्राध्यापक श्री सुरेष मालवीय, सहित विभिन्न वक्ताओं ने मानव अधिकार व सुषासन विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए। इससे पूर्व कार्यषाला का शुभारंभ अतिथियों द्वारा मॉं सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित नागरिकों को मानव अधिकार दिवस संबंधी शपथ भी दिलाई गई।
कलेक्टर डॉ. अग्रवाल ने इस अवसर पर कहा कि प्रदेष सरकार ने आम नागरिकों के मानव अधिकारो के संरक्षण के लिए अनेंको योजनाएं संचालित की है, जिनमें जनसुनवाई, लोक सेवा गारंटी योजना, लोक कल्याण षिविर, अन्त्योदय मेले, बीमारी सहायता योजना शामिल है। जनसुनवाई के माध्यम से गरीब से गरीब व्यक्ति को उसके अधिकार दिलाने का प्रयास किया जाता है। बीमारी सहायता योजना में गरीब व्यक्ति को उसके उपचार के लिए प्रदेष के जाने माने अस्पतालो में निःषुल्क उपचार का अधिकार दिया गया है। उन्होंने कहा कि सभी अधिकारी, कर्मचारियों को ईमानदारी के साथ अपने कर्त्तव्यों की पूर्ति करनी चाहिए, ताकि आम नागरिकों को उनके अधिकार मिल सकें। उन्होंने कहा कि जहां एक ओर कुपोषित बच्चें का अधिकार पोषण आहार प्राप्त करने का है, वहीं दूसरी ओर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता का कर्त्तव्य उस बच्चें को पोषण आहार उपलब्ध कराने का है। 
      कलेक्टर डॉ. अग्रवाल ने कहा कि सुषासन तभी स्थापित होगा जबकि सभी को उनके अधिकार सहज ही मिलने लगेंगे। उन्हांेने कहा कि सभी विभागों मंे अधिकारी, कर्मचारियों की संख्या घटती जा रही है, जबकि सरकारी योजनाएं नई नई प्रारंभ हो रही है जिससे अधिकारी, कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ता जा रहा है। ऐसे में नागरिकों को उनके अधिकार व सुविधाएं दिलाने में कुछ देरी हो सकती है लेकिन फिर भी यह प्रयास किया जाता है कि सभी को उनके अधिकार आसानी से उपलब्ध हो। मानव अधिकार आयोग के जिला संयोजक श्री बाहेती ने कार्यक्रम में कहा कि सुषासन के लिए प्रषासन में पारदर्षिता होना आवष्यक है। उन्हांेने कहा कि प्रत्येक नागरिक अपने विकास का अधिकार तथा स्वतंत्रता का अधिकार सर्वप्रथम चाहता है। उन्होंने सभी अधिकारी, कर्मचारियों से कहा कि वे कार्यालयों में आने वाले नागरिकों से अच्छा व्यवहार करें तथा कोषिष करे कि नागरिकों को उनके अधिकार दिलाये जा सके। श्री बाहेती ने इस अवसर पर कहा कि आजादी के पहले देष में मानव अधिकारों की बात नहीं की जा सकती थी, लेकिन आजादी के बाद मानव अधिकारों के संरक्षण के लिए कई प्रयास किए गए और राष्ट्रीय एवं प्रदेष स्तर पर मानव अधिकार आयोग स्थापित किए गए है। प्राध्यापक श्री मालवीय ने अपने संबोधन में कहा कि मानव अधिकारों का संरक्षण न्याय पालिका करवाती है। हमें भी प्रयास करना चाहिए कि हमारे कारण किसी व्यक्ति के अधिकारों का हनन न हो। इससे पूर्व स्वागत उदबोधन आयोग मित्र श्री सोलंकी ने दिया।   

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