Sunday, 2 February 2014

मलगाँव उत्सव में पहुँचे मंत्री श्री शाह विभागीय योजना की लगी प्रदर्शनी का किया अवलोकन वहीं दूसरे दिन बुंदेलखण्ड के परिवेश में रंगा मलगाँव उत्सव

मलगाँव उत्सव में पहुँचे मंत्री श्री शाह

विभागीय योजना की लगी प्रदर्शनी का किया अवलोकन

वहीं दूसरे दिन बुंदेलखण्ड के परिवेश में रंगा मलगाँव उत्सव 



खंडवा (02 फरवरी, 2014) - प्रदेश खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री कुँवर विजय शाह मलगाँव उत्सव के तीसरे दिन मेला उत्सव परिसर में पहुँचे। जहाँ पर उन्होंने विभिन्न विभागों द्वारा शासन की जनहितकारी योजनाओं की जानकारी जनसमुदाय को उपलब्ध कराने के लिये लगाई गई सभी प्रदशर्नियों का अवलोकन किया। साथ ही समस्त संबंधित अधिकारियों को शासन की योजनाओं का लाभ सरलता व सहजता से प्राप्त हितग्राही को उपलब्ध कराने के निर्देश भी दिये। इस दौरान 31 जनवरी को आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रथम स्थान अर्जित करने वाली शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय खारकला के विद्यार्थियों ने अपनी मनमोहन एवं आकर्षक प्रस्तुति भी दी। जिसे मंत्री श्री शाह समेत उपस्थित सभी जनसमुदाय ने सराहा।
        इसके पूर्व मलगाँव उत्सव के दूसरे दिन भी अनेक रंगारंग प्रस्तुतियाँ का प्रदर्शन किया गया था। जिसमें कलाकारों द्वारा अपनी प्रस्तुतियों से नौता, ईमराई, बरेड़ी तथा बधाई जैसे पारम्परिक लोकनृत्यों, गीत-संगीत तथा नाटक का मंचन इतनी खुबसूरती से किया गया कि सम्पूर्ण मलगाँव मेला बुंदेलखण्ड परिवेश रंगा नजर आया। इन आकर्षक प्रस्तुतियों के माध्यम से बुंदेलखण्ड की संस्कृति को निमाड़ में पारिभाषित किया गया है। प्रस्तुतियों के माध्यम से बताया गया कि बुंदेलखण्ड क्यों देश-विदेश में जाना जाता है।
नौर्ता:- नौर्ता नवरात्रि के अवसर पर बुंदेलखण्ड में किये जाना वाला पारम्परिक नृत्य है। माँ पार्वती की कृपा से वृतधारी कन्याओं की रक्षा और सुअटा राक्षस के वध के फलस्वरूप शांति एवं प्रेम से जनजीवन रहता है। उत्सव धर्मी हमारे देश में प्रत्येक अवसर अनुष्ठान से नृत्य है उत्सव है। सिर पर कलश और संगीत की बुंदेली लोक धूनों, लय, ताल समन्वय इस नृत्य की प्रमुख विशेषताएँ है।
ईमराई:- बुंदेलखण्ड अंचल में निवास करने वाली ठीमर जाती का पारम्परिकत नृत्य है। ईमराई कथा को कहने और सुनने की परम्परा हमारे देश में सदियों से हैं। इमराई नृत्य में मुख्य नृतक आंचलित कथाओं को जनमानस तक पहुँचाकर कथा के सत्य से अवगत कराता है। इमराई में नृतक, गायक दोनों एक साथ होता है। आसुरविता इनमें विशेष गुण होता है। जिसके फलस्वरूप नृतक अवसर विशेष को अपनी गायकी में शामिल करते हुए, कथा और कथ्य को विस्तरित करता है।
बरेड़ी:- प्रभु श्री राम और श्री कृष्ण के जीवन आचरण मूल्य आदि का प्रभाव भारतीय लोक जीवन गहरा है। लोक में प्रचलित गीत, कथा, गाथा, नृत्य, पर्व, त्यौहार, अनुष्ठान आदि में इन युग पुरूषों की छाया हमेशा दृष्टिगोचर होती है और सदियों तक होती रहेगी। बुंदेलखण्ड अंचल में निवास करने वाली यादव जाति का यह पारम्परिक नृत्य है। बरेड़ी कृष्ण की ग्वाल परम्परा से समृद्ध यह नृत्य अपनी वेशभूषा पर संचालन और गीत-संगीत के कारण प्रदेश में अन्य नृत्यों में अपनी विशेष उपस्थिति दर्ज कराता है।
बधाई :- बधाई बुंदेलखण्ड का पारम्परिक लोक नृत्य है। बुंदेलखण्ड अंचल में विवाह एवं बच्चें के जन्म अवसर पर बधाई नाचने की परम्परा है। घर के आँगन में स्त्रियों के समुह से एक स्त्री उठती है और बधाई नाचती है। यह क्रम निरंतर चलता रहता है। लोग समाज में  अपनी इसी अभिव्यक्ति को नृत्य गीत लय और ताल के माध्यम से देश-विदेश में प्रसारित किया गया है। लाजवाब देयमुद्रा संगीत और पंथ संचालन का खुबशूरत समन्वय इस नृत्य में देखने को मिलता है। आज की प्रस्तुतियों में हमने प्रदेश की दो अंचल निमाड़ और बुंदेलखण्ड को केन्द्र में रखा है।
टीप:- फोटो मेल की गई हैं।                        
 क्रमांक: 10/2014/214/वर्मा

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